छिंदवाड़ा मंडी में प्रबंधन की लापरवाही अब मंडी खुलने के बाद पानी और बिजली की व्यवस्था होगी
छिंदवाड़ा। 66 दिनों के बाद 31 मई को कृषि उपज मंडी में व्यापारियों के द्वारा नीलामी शुरू की गई। नीलामी शुरु करने व्यापारियों ने बकायदा मंडी प्रबंधन को आवेदन दिया था। सुबह मंडी खुलने के साथ ही व्यापारियों ने शुभ मुहूर्त पर नीलामी शुरू की थी। पहले दिन गेहूं, मक्का व सोयाबीन की आवक काफी कम रही। तकरीबन 100 क्विंटल गेहूं, 120 क्विंटल मक्का तथा 50 क्विंटल सोयाबीन मंडी में नीलामी में पहुंचा। विगत दो माह से मंडी में नीलामी प्रकिया बंद थ, जिसे सोमवार को शुरू किया गया, लेकिन खरीदी शुरू होने के साथ ही मंडी प्रबंधन ने व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया।
सोमवार की शाम को मंडी सचिव को जानकारी लगी कि शेड में लाइट व पेयजल की समस्या है, उसके बाद उसे सुधारने व व्यवस्था बनाने का प्रयास किया गया। सवाल यह खड़ा होता है कि गर्मी का सीजन चल रहा है तथा दो माह से मंडी कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं था, लेकिन फिर भी नीलामी शुरु होने के बाद ही प्रबंधन को व्यवस्थाओं की याद आई। वैसे तो कुसमेली मंडी अव्यवस्थाओं के कारण जिला प्रशासन के निशाने पर रहता है। वर्तमान में एसडीएम अतुल सिंह मंडी के कार्यसाधक अधिकारी है।
मंडी में सीजन के अलावा बाकी समय भी किसानों व कुचिया व्यापारियों का आना जाना रहता है, लेकिन व्यापारियों व हमालों के लिए प्रबंधन व्यवस्था नहीं बना पाता है। प्रबंधन शेड से व्यापारियों का अनाज नहीं हटवा पाता है वहीं पेयजल संकट कभी भी खड़ा हो जाता है। किसान का जो अनाज मंडी में रात्रि के समय पहुंचता है उसकी रखवाली भी किसानों को करनी होती है। मंडी का गेट पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से टूटा हुआ है लेकिन प्रबंधन उसका सुधार कार्य नहीं करवा पाया है।
दो माह मंडी से नहीं निकले कर्मचारी
मंडी में नीलामी प्रकिया बंद थी लेकिन अनाज का अवैध परिवहन लगातार जारी थी इस दौरान दो माह में एक बार भर उड़नदस्ता ने कार्रवाई की है, जबकि मंडी में कर्मचारियों को किसी अन्य कार्य पर नहीं लगाया गया। मंडी कर्मचारी किसी भी स्थान पर जांच करने नहीं पहुंच और न ही राजस्व बढ़ाने का प्रयास भी नहीं किया गया। प्रभारी सचिव के भरोसे मंडी का कार्य चल रहा है जिसके कारण मंडी की व्यवस्थाएं लगातार बिगड़ी हुई है। संभागीय उड़नदस्ता भी लंबे समय से कोई जांच करने नहीं आया हैं
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