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Indore: महू की दो बहनों के पाक कनेक्शन से मोहल्ला बेचैन

इंदौर जिले के छावनी क्षेत्र महू में कथित तौर पर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के संदेह में दो महिलाओं सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। खुफिया एजेंसियों और पुलिस मामले में विस्तृत जांच कर रही है। इंदौर जोन के आईजी हरिनारायणचारी मिश्रा ने कहा कि तीनों को फिलहाल गिरफ्तार नहीं किया गया है। मामले में पूछताछ और जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में जो बात सामने आई है, उसमें कथित रूप से तीनों पाकिस्तान में अपने संपर्क के साथ संवाद कर रहे थे, इस सवाल पर आईजी ने कहा कि गुप्त सूचना के आधार पर, दो महिलाओं और एक पुरुष को हिरासत में लिया गया है। 

अब तक की पूछताछ से पता चला है कि वे संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे। तीनों से पूछताछ में पुलिस के अलावा अन्य एजेंसियां भी शामिल हैं। इनसे बरामद सभी सामग्री सहित अन्य तथ्यों की गहनता से जांच की जा रही है। पुलिस ने बताया कि इंदौर से लगभग 35 किलोमीटर दूर महू के गवली पलासिया गांव स्थित लक्ष्मी विहार कॉलोनी की रहने वाली दो महिलाओं और एक पुरुष को हिरासत में लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, सेना के खुफियाकर्मी पिछले एक माह से तीनों की निगरानी कर रहे थे और बुधवार शाम को तीनों को महू के माल रोड के पास स्थित सेना के अस्पताल और सेना के अन्य भवनों की तस्वीरें लेते हुए पाया गया। उन्होंने बताया कि सेना और पुलिस के अधिकारियों को इस मामले में सूचित किया गया और इनके मोबाइल फोन में संवेदनशील जानकारी मिलने के बाद तीनों को हिरासत में लिया गया और तीनों को इनके ठिकाने ले जाकर पूछताछ की गई। 

सूत्रों के अनुसार, आईबी, एटीएस और सेना के खुफिया दस्ते के कर्मी तीनों से पूछताछ कर रहे हैं और उन्हें घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। पुलिस अधिकारी अजीत सिंह ने बताया कि महू पुलिस के इंस्पेक्टर, एक एएसआई और दो कॉन्स्टेबलों को संदिग्धों के घर पर तैनात किया गया है। हिरासत में रखे गए तीनों को किसी से मिलने की अनुमति नहीं है। उन्होंने बताया कि आरोपी महिला के पिता सेना की मेडिकल कोर में सिपाही के पद पर कार्यरत थे। अपनी सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने एक बैंक में सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम किया और पांच साल पहले उनकी मौत हो गई। 

परिवार महू के पास बिचौली गांव का रहने वाला है और उन्होंने करीब दस साल पहले इस मकान को बनवाया था। संदिग्ध महिलाओं में से एक ने विद्युत मंडल में अस्थाई कर्मचारी के तौर पर भी काम किया लेकिन छह माह काम करने के बाद दो साल पहले नौकरी छोड़ दी। सिंह ने बताया कि कॉलोनी के कुछ निवासियों ने मीडिया को बताया कि इस परिवार के लोगों की गतिविधियां संदिग्ध थी क्योंकि इनके घर से निकलने और वापस आने का कोई समय निश्चित नहीं था। इसके अलावा वे अपने आसपास के रहवासियों के साथ कोई बात नहीं करती थीं।



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