पिछले तीन महीनों से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी की एक भी घटना नहीं
नई दिल्ली पिछले तीन महीनों से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति है। भारत और पाकिस्तान ने एलओसी और अन्य क्षेत्रों में संबंधी सभी समझौतों का सख्ती से पालन करने पर फरवरी में सहमति जताई थी। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा है कि दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष विराम से शांति और सुरक्षा के नजरिये को बढ़ावा मिला है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक लंबी राह में यह पहला कदम है। संघर्ष विराम का जिक्र करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि समझौता लागू होने के बाद दोनों सेनाओं की ओर से सीमा पार से गोलीबारी की एक भी घटना नहीं हुई। हालांकि, जम्मू सेक्टर में पाकिस्तानी रेंजरों से जुड़ी एक घटना हुई थी। उन्होंने कहा, ‘इस साल हमने जम्मू और कश्मीर में हिंसा के स्तर में भारी कमी देखी है। सुरक्षा बल और अन्य सरकारी एजेंसियां आतंकवादी समूहों पर दबाव बनाए रखने पर काम कर रही हैं।’
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी
नरवणे ने कहा कि वैसे संघर्ष विराम का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई रुक गई है। यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि पाकिस्तानी सेना की ओर से एलओसी पर आतंकी ढांचे को खत्म कर दिया गया है। सेना प्रमुख के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के प्रयासों और आतंकवादी घटनाओं में कमी में निरंतरता भारत को अच्छे पड़ोसी संबंधों को बढ़ावा देने संबंधी पाकिस्तान के इरादे के बारे में आश्वस्त करेगा।
संघर्ष विराम समझौते के पालन से शांति
जनरल नरवणे ने कहा कि संघर्ष विराम समझौते के पालन से क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के समग्र दृष्टिकोण में ‘निश्चित रूप से’ योगदान मिला है। क्षेत्र में शांति के माहौल की संभावनाओं को बल मिला है। सेना प्रमुख बोले, ‘एलओसी पर सीजफायर का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई थम गई है। हमारे पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पर आतंकी ढांचे को खत्म कर दिया है।’ अफगानिस्तान से 11 सितंबर तक अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने संबंधी अमेरिकी प्रशासन के फैसले का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ‘चाहे उनकी अक्षमता हो या अनिच्छा, दोनों समान रूप से खतरनाक और चिंताजनक हैं।’
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