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चिराग के सामने ताकत की रौशनी पाने के 3 विकल्प, जानिए कैसे पलट सकता है पासा

कहते हैं सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता। एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान पर ये कहावत बिल्कुल सही साबित हुई है। अब तक चिराग जिस पार्टी के मुखिया की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, उस पर किसी और ने ही दावा ठोक दिया। जी हां...खुद चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पार्टी पर एक तरह से कब्जा जमा लिया। उन्हें पार्टी के 6 में से 5 सांसदों का साथ मिला है, जिसके चलते पशुपति पारस लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता भी बन गए हैं।

Bihar News: जब चिराग पासवान (Chirag Paswan) के हाथ से बाजी फिसल चुकी है ऐसे में सवाल उठ रहा कि आखिर एलजेपी में जारी सियासी बवाल का बिहार की राजनीति में क्या असर होगा? यही नहीं खुद चिराग के पास क्या विकल्प हैं कि वो कैसे फिर से पार्टी को और खुद को मजबूत कर सकें?


LJP Crisis Update: चिराग के सामने ताकत की रौशनी पाने के 3 विकल्प, जानिए कैसे पलट सकता है पासा

कहते हैं सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता। एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान पर ये कहावत बिल्कुल सही साबित हुई है। अब तक चिराग जिस पार्टी के मुखिया की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, उस पर किसी और ने ही दावा ठोक दिया। जी हां...खुद चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पार्टी पर एक तरह से कब्जा जमा लिया। उन्हें पार्टी के 6 में से 5 सांसदों का साथ मिला है, जिसके चलते पशुपति पारस लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता भी बन गए हैं।



एलजेपी में घमासान का बिहार की सियासत पर क्या होगा असर
एलजेपी में घमासान का बिहार की सियासत पर क्या होगा असर

मामला इतना ही भर नहीं है पशुपति कुमार पारस ने पूरे सियासी घटनाक्रम को लेकर सोमवार खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी तोड़ी नहीं...बचाई है। भतीजे चिराग को लेकर उन्होंने कहा कि वो चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं। हालांकि, अब जब चिराग पासवान के हाथ से बाजी फिसल चुकी है ऐसे में सवाल उठ रहा कि आखिर एलजेपी में जारी सियासी बवाल का बिहार की राजनीति में क्या असर होगा? यही नहीं खुद चिराग पासवान के पास क्या विकल्प हैं कि वो कैसे फिर से पार्टी को और खुद को मजबूत कर सकेंगे?



अगर चिराग को मिले बीजेपी का साथ, तो बदल सकते हैं समीकरण
अगर चिराग को मिले बीजेपी का साथ, तो बदल सकते हैं समीकरण

एलजेपी में संकट के मौजूदा स्थिति पर नजर डालें तो इसमें आगे तीन संभावनाएं प्रमुख रूप से नजर आ रही हैं। जिसमें एक स्थिति ये हो सकती है बीजेपी की ओर से चिराग को कुछ सपोर्ट मिले। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर चिराग पार्टी से अलग हटते हैं तो उनके लिए आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही ओर से ऑफर आ रहे हैं। बीजेपी नहीं चाहेगी कि चिराग किसी भी तरह से महागठबंधन का हिस्सा बनें। ऐसे में पार्टी चिराग पासवान को साथ में लेते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करेगी। वहीं बीजेपी का साथ मिलने से खुद चिराग पासवान को भी बड़ी राहत मिलेगी। उन्हें फिर से एलजेपी में खुद को साबित करने का मौका मिल सकता है। हालांकि, ये सबकुछ बीजेपी नेतृत्व के फैसले पर ही निर्भर होगा।

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मां रीना पासवान को राजनीति में लाकर चिराग बदल सकते हैं हारी हुई बाजी
मां रीना पासवान को राजनीति में लाकर चिराग बदल सकते हैं हारी हुई बाजी

दूसरा विकल्प, जिसका जिक्र खुद चिराग पासवान कर रहे हैं, वो है रीना पासवान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का। इसके लिए उन्हें अपनी मां रीना पासवान को राजनीति में आने के लिए मनाना होगा। माना जा रहा कि वो ऐसा करने में सफल हो सकते हैं, शायद यही वजह है कि सोमवार जब एलजेपी में टूट की खबरें सामने आई तो खुद चिराग हाथ में पट्टी बंधी होने के बावजूद गाड़ी चलाकर चाचा पशुपति नाथ पारस के दिल्ली स्थित घर पहुंचे। हालांकि, उनकी अपने चाचा से मुलाकात तो नहीं हुई लेकिन इस दौरान उन्होंने एक ऑफर जरूर रखा। उन्होंने एलजेपी संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान की पत्नी और अपनी मां रीना पासवान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का ऑफर दिया। उनके इस ऑफर पर उनके चाचा का क्या फैसला होगा ये तो अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन पार्टी के एक और सांसद महबूब अली कैसर ने रीना पासवान को अध्यक्ष बनाने के सवाल पर कहा कि अगर प्रस्ताव आएगा तो उस पर बैठकर बातचीत की जाएगी, हमने लीडरशिप चेंज का प्रस्ताव स्पीकर को दिया है।

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बीजेपी-जेडीयू में वर्चस्व की अघोषित जंग होगी और तेज!
बीजेपी-जेडीयू में वर्चस्व की अघोषित जंग होगी और तेज!

एलजेपी में मचे सियासी घमासान पर जेडीयू और बीजेपी दोनों की ही निगाहें हैं। खास तौर से जेडीयू को चिराग के खिलाफ हुई इस बगावत से सीधा फायदा मिलता दिख रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पशुपति पारस लगातार नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए उन्हें विकास पुरुष तक कहा है। यही नहीं चर्चा है कि अगर पारस को एलजेपी में मजबूत स्थिति मिलेगी तो जेडीयू में विलय पर भी सोच सकते हैं। सियासी जानकारों की मानें तो जिस तरह से पिछले दिनों उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का जेडीयू में विलय हुआ, पशुपति पारस भी एलजेपी का जेडीयू में विलय करा सकते हैं। ये बात बीजेपी बखूबी समझ रही है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहेगी कि चिराग की पकड़ एलजेपी में कम हो। जानकारों के मुताबिक, पार्टी इस दिशा में जरूर कुछ प्लानिंग करेंगी। यानी बीजेपी-जेडीयू में जारी सियासी वर्चस्व की अघोषित जंग आने वाले समय में और तेज हो सकती है।





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