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नोएडा के फ्लैट में 40 किलो सोना चोरी का कैसे खुला राज? 'मायावी फ्लैट' तक कैसे पहुंचे चोर, पूरी कहानी

नोएडा ग्रेटर नोएडा की पूर्वांचल सिल्वर सिटी सोसायटी स्थित एक फ्लैट में हुई 40 किलो सोना और 6.5 करोड़ कैश की चोरी की चर्चा इन दिनों तेज है। पुलिस ने इस हैरतअंगेज चोरी के वारदात के सभी आरोप पकड़ लिए है लेकिन अब तक इसके असली मालिक का पता नहीं लगाया जा सका है। न ही उस फ्लैट में जा सकी है जहां यह घटना हुई। इस मामले की जांच में ईडी और आयकर विभाग भी जुट गया है। इनके सबके बीच पुलिस मान रही है कि चोरी हुआ सामान सुप्रीम कोर्ट के वकील किसलय पांडेय और उनके पिता राममणि पांडेय का है। क्या है पूरी कहानी और कैसे खुला चोरी का राज, जानिए आगे- कैसे हुआ ग्रेटर नोएडा में चोरी का खुलासा? नोए़डा की सेक्टर 39 थाना पुलिस ने शुक्रवार को 6 चोरों को पकड़कर बड़ी चोरी का खुलासा किया। पुलिस के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा की सिल्वर सोसायटी स्थित एक फ्लैट में पिछले साल सितंबर महीने में करोड़ों की चोरी की घटना हुई। यहां से करीब 40 किलो सोना और 6.5 करोड़ रुपये कैश नोएडा व गाजियाबाद के दो गैंग ने मिलकर चुराया था। उस वक्त किसी को इस बात की कानोंकान भनक नहीं लगी। न ही जिसका फ्लैट था उसने कोई शिकायत दी। चर्चा होने लगी कि यह माल किसी ब्यूरोक्रेट या नेताओं का कालाधन है। पुलिस को आरोपियों के पास से क्या मिला? पुलिस का कहना है कि कुछ दिन पहले चोरी के गैंग के लोगों में चोरी माल के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ और तब जाकर उस तक यह बात पहुंची। पुलिस ने प्लान बनाकर सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि पुलिस ने इनके पास से 13 किलो सोना और 57 लाख रुपये कैश, 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी के दस्तावेज और एक एसयूवी बरामद हुई है। कौन का चोरी का मास्टरमाइंड गोपाल? अब तक की पुलिस की जांच में गिरफ्तार हुए आरोपियों से यह बात सामने आई है कि इस चोरी का सूत्रधार गाजियाबाद निवासी गोपाल है। नोएडा पुलिस ने उस गोपाल का भी पता लगा लिया है। वह गाजियाबाद के कोतवालपुर गांव का निवासी है। आरोपियों ने बताया कि गोपाल सुप्रीम कोर्ट के वकील किशलय पांडे का केयरटेकर है। ऐसे में माना जा रहा है कि जिस फ्लैट में चोरी हुई वह किश्लय का ही है। गोपाल को कैसे मिली फ्लैट में इतनी बड़ी संपत्ति की जानकारी? हालांकि पुलिस जब गोपाल के गांव पहुंची तो घर वालों व आस -पड़ोस के लोगों ने यही बताया है कि वह किसानी का काम करता है। अब गोपाल को इस फ्लैट में रखी इतनी बड़ी संपत्ति की जानकारी कैसे हुई। पुलिस की जांच में यह सवाल अहम है। एक तरह से इस सवाल का जवाब ही पुलिस को जांच में आगे बढ़ाएगा। इसलिए पुलिस बहुत ही सरगर्मी से गोपाल की तलाश में जुटी हुई है। वहीं गोपाल के साथ जो अन्य तीन आरोपी थे उनकी भी पहचान थाना पुलिस ने कर ली है। कालेधन का तहखाना बना हुआ था फ्लैट, कम्प्यूटर पर होती थी एंट्रीपूछताछ में पकड़े गए चोरी के आरोपितों ने उस फ्लैट में एक मेज पर कम्प्यूटर रखे होने की भी बात कही है। इसके साथ ही यह भी बताया कि देखकर यह नहीं लगा था उसमें कोई रहता होगा। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा कि फ्लैट के दूसरे कमरों में भी इसी तरह कालाधन रखा होगा। जो भी कैश या सोना आता था उसकी लिखापढ़ी उसी कम्प्यूटर में दर्ज होने की उम्मीद भी पुलिस को है। सुप्रीम कोर्ट के वकील का इस चोरी से क्या लेना देना? इस चोरी का मास्टरमाइंड गोपाल सुप्रीम कोर्ट के वकील किशलय पांडे का केयरटेकर है। ऐसे में अब किशलय पांडे और उनके करीबियों व रिश्तेदारों की परेशानी बढ़ाने वाली है। पुलिस की जांच टीम किशलय पांडे व उनके 50 करीबियों की प्रॉपर्टी की जांच करेगी। शक है कि बेनामी संपत्ति दूधवाले, सब्जी वाले और नौकर ओर रिश्तेदारों के नाम हो सकती है। पुलिस 5 साल में खरीदी गई प्रॉपर्टी के इनकम स्रोत के बारे में भी पूछताछ करेगी। साथ ही किशलय के लॉकर ओर बैंक अकाउंट को खंगालेगी। पुलिस को शक है कि उनमें कीमती हीरे और करोड़ों रुपये मिल सकते हैं। करीब 50 लोगों की लिस्ट तैयार सूत्र बताते हैं कि जांच एजेंसियां बड़ी सावधानी से काम कर रही हैं। किशलय के करीबियों की संख्या करीब 50 के आसपास है। उसमें अधिकारी, नेता, दूध वाला, ड्राइवर, सब्जी वाले से लेकर कई अन्य लोग भी शामिल हैं। जांच टीम इन लोगों से पूछताछ करेगी। इनकी संपत्ति के दस्तावेज चेक किए जाएंगे। क्या कहता है बेनामी लेनदेन कानून? बेनामी संपत्तियों और लेनदेन पर रोक लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदेन कानून में 2016 में संशोधन किया था। इसमें बेनामी संपत्ति को सील करने और उसे जब्त करने का अधिकार जोड़ा गया है। नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति पाए जाने पर सजा की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल और बेनामी संपत्ति के बाजार मूल्य के 25 फीसदी के बराबर जुर्माने का प्रावधान है। क्या है बेनामी संपत्ति? जब कोई चल या अचल संपत्ति किसी व्यक्ति को ट्रांसफर कर दे, लेकिन उसका असली लाभ ट्रांसफर करने वाले को ही मिलता रहे तो वह बेनामी संपत्ति कहलाती है। पुलिस जांच कर रही है कि कहीं नोटबंदी में ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए सोना तो नहीं खरीदा गया। जो पुलिस ने बरामद किया है। साथ ही पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नोटों को कौन से बैंक से निकाला गया था। किशलय पांडेय ने क्या दी सफाई? उधर किशलय ने अपने ट्विटर अकाउंट में बयान जारी करते हुए आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा, 'मैंने सरकार और आम लोगों के साथ गंभीर घोटाले और धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट की सहायता की है। यह जरूर आरोपी घोटालेबाजों की ओर से मेरे खिलाफ चलाया गया अभियान है, जिन्होंने आम लोगों का पैसा खाया है। यह सिर्फ मुझे बदनाम करने की साजिश है लेकिन वे लोग गलत हैं। मैं बल्कि देश के लोगों को न्याय दिलाने के लिए अपने प्रयास दोगुने कर दूंगा। मैंने नोएडा पुलिस को जांच में पूरा सहयोग करने का वादा किया है और कानून के हिसाब से आगे भी करता रहूंगा।'


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