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चीन से तनातनी के बीच राजनाथ सिंह ने बॉर्डर पर बने 63 ब्रिज किए देश को समर्पित, समझिए क्यों हैं ये अहम

नई दिल्ली पिछले साल जब ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारत और चीन के बीच तनाव शुरू हुआ तो उसकी एक वजह यह भी बताई गई कि चीन को भारत का तेजी से सुधर रहा इंफ्रास्ट्रक्चर बर्दाश्त नहीं हो रहा है। भारत ने चीन बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का काम तेजी से किया है। चीन के तनाव के बीच भी भारत ने अपने काम में बाधा नहीं आने दी और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने काम जारी रखा। सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बॉर्डर एरिया में बने 63 ब्रिज देश को समर्पित किए। बीआरओ ने ये ब्रिज 6 राज्यों और दो यूनियन टेरिटरी में बनाए हैं। लद्दाख दौरे पर हैं रक्षा मंत्रीरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिनों के लद्दाख दौरे पर हैं। लेह से 88 किलोमीटर आगे एक ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज 50 मीटर लंबा है और लेह-लोमा रोड पर बना है। अबतक यहां पर एक बैली ब्रिज था, जिसकी जगह पर स्टील का नया आधुनिक ब्रिज बनाया गया है। इससे भारी वेपन सिस्टम, गन्स, टैंक और दूसरे सैन्य साजोसामान को आसानी से ले जाया जा सकेगा। यह रोड ईस्टर्न लद्दाख में फॉरवर्ड एरिया तक जाने के लिए बेहद अहम है। चीन के साथ तनाव के बीच इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। ईस्टर्न लद्दाख में पिछले साल से ही दोनों तरफ के 50-60 हजार सैनिक तैनात हैं और न भारत ने और न ही चीन ने सैनिकों की तैनाती में कोई कमी की है। रक्षा मंत्री ने 62 और ब्रिज का वर्चुअली उद्घाटनयहीं से ही रक्षा मंत्री ने 62 और ब्रिज का वर्चुअली उद्घाटन किया। इसमें 11 ब्रिज लद्दाख, 4 जम्मू- कश्मीर, 3 हिमाचल प्रदेश, 6 उत्तराखण्ड, 8 सिक्किम, एक नागालैंड, एक मणिपुर और 29 अरुणाचल प्रदेश में हैं। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 240 करोड़ रुपए थी। रक्षा मंत्री ने भरोसा जताया कि इन ब्रिज के बनने से सिक्योरिटी सिचुएशन और मजबूत होगी साथ ही कनेक्टिविटी बेहतर होने से राज्यों का आर्थिक विकास भी होगा। बीआरओ ने पिछले साल 44 ब्रिज बनाए थे और अब एक साथ 63 ब्रिज बनाकर बीआरओ ने अपना ही रेकॉर्ड तोड़ा है।


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