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एमपी में B.1.617 वैरिएंट से कोरोना की दूसरी लहर में आई थी तबाही, जीनोम स्टडी में खुलासा

भोपाल कोविड की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में एमपी में बड़े पैमाने पर लोग संक्रमित हुए हैं। इससे स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। यह कोरोना के SARS CoV-2 के B.1.617 वैरिएंट के कारण हुआ था, जिसे सबसे अधिक संक्रामक माना जाता है। यह पहली बार महाराष्ट्र में पाया गया था। केंद्र की तरफ से किए गए जीनोम अध्ययन में यह बात सामने आई है। अप्रैल 2021 में 64 फीसदी मरीजों के सैंपल अध्ययन के लिए गए थे, जो इस प्रकार के वायरस से संक्रमित थे। अध्ययन के अनुसार B.1.617 वैरिएंट को डबल म्यूटेंट भी कहा जाता है। मार्च महीने में यह केवल 2.2फीसदी नमूनों में पाया गया था। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार एमपी से जीनोम अध्ययन के लिए 1068 सैंपल लिए गए थे। 1012 सैंपलों में इसकी वंशावली पाई गई है। वहीं, मार्च 2021 में लिए गए सैंपल मुख्य रूप से B.1.1.7 वैरिंएट पाया गया था, यह अन्य वैरिएंट से अधिक घातक है, लेकिन हाल ही में मिले B.1.617 वैरिएंट उससे भी ज्यादा घातक है, इसकी वजह से हताहतों की संख्या बढ़ी। मार्च में 2021 में से कुल 392 नमूनों का विश्लेषण किया गया था, जिनमें 231 नमूनों में B.1.1.7 के वैरिएंट मिले थे। वहीं, 79 नमूनों में B.1.617 वैरिएंट मिला था, जो करीब 20.2 फीसदी मौजूद था। वहीं, अप्रैल में 64.2 नमूनों में वायरस का B.1.617 वैरिएंट मिला और 0.7 फीसदी लोगों में वायरस का B.1.1.7 वैरिएंट मिला है। गौरतलब है कि एमपी में संक्रमण की दूसरी लहर के प्रसार के लिए अप्रैल का महीना पीक था। मई में राज्य से लगभग 200 सैंपल लिए गए। इनमें 46.5 फीसदी में वायरस का B.1.617 वैरिएंट मिला, जबकि B.1.17 वैरिएंट का कोई केस नहीं मिला। 53 फीसदी सैंपल में वायरल के अन्य वंश पाए गए हैं।


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