देश में जल्द मिलेगी बच्चों को वैक्सीन, कोरोना के खौफ को कम करने में जुटीं ये तीन कंपनियां

बेशक कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ी है, लेकिन खतरा टला नहींं है। तीसरी लहर के आने का अंदेशा बना हुआ है।
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के चपेट में आने की ज्यादा आशंका है। इसे लेकर सरकार किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
देश में जल्द मिलेगी बच्चों को वैक्सीन

देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है। यह अलग बात है कि खतरा खत्म नहीं हुआ है। जानकार चेतावनी दे चुके हैं कि तीसरी लहर का आना तय है। इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चों के आने के आसार हैं। अमेरिका में 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन दी जा रही है। हाल में अमेरिकी दवा नियामक यूएसएफडीए ने इसके इमर्जेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। अच्छी बात यह है कि भारत में भी अब जल्द ही बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत होने की उम्मीद है। भारतीय कंपनी जायडस कैडिला बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर रही है। इस तरह की खबरें हैं कि यह वैक्सीन इसी महीने लॉन्च हो सकती है। वहीं, बच्चों पर कोवैक्सीन भी ट्रायल कर रही है। बच्चों के लिए फाइजर की वैक्सीन को अनुमति देने पर पहले से ही विचार चल रहा है। ब्रिटेन ने हाल ही में 12 साल से कम बच्चों के लिए फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दी है। अभी देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जा रही है। इसमें Covaxin और कोविशील्ड शामिल हैं। अब तक बच्चों के लिए कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
जायडस-कैडिला दो हफ्तों में लॉन्च करेगी वैक्सीन?

जायडस-कैडिला तीसरे फेज का ट्रायल पूरा कर चुकी है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने शुक्रवार को बताया था कि अहमदाबाद की कंपनी पहले ही बच्चों पर वैक्सीन को टेस्ट कर चुकी है। उम्मीद है कि वह अगले दो-तीन हफ्तों में अपनी वैक्सीन के लिए मंजूरी मांगेगी। अनुमति दवा नियामक डीसीजीआई देगा। बड़ों को भी यह वैक्सीन दी जा सकती है। जायडस की वैक्सीन का नाम है ZyCov-D। कंपनी ने इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के साथ मिलकर बनाया है। कंपनी ने वैक्सीन पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। पॉल ने बताया था कि कंपनी के सभी डेटा आने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इसे बच्चों को देना कितना सुरक्षित है।
कोवैक्सीन भी नहीं है पीछे

वहीं, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का भी बच्चों पर ट्रायल चल रहा है। पटना के एम्स में इसी हफ्ते इसकी टेस्टिंग शुरू हुई है। डॉ पॉल ने बताया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आंकड़े साझा किए जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द उसे मंजूरी मिले। उन्होंने कहा था कि इसके लिए भारत बायोटेक और डब्लूएचओ दोनों के साथ सरकार संपर्क में है। 24 मई को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने सरकार को बताया था कि उसने 90 फीसदी डॉक्यूमेंट डब्लूएचओ को जमा कर दिए हैं। ऐसा कोवैक्सीन के इमर्जेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए किया गया है।
फाइजर की वैक्सीन पर विचार

12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर हाल में ब्रिटेन ने मंजूरी दी है। अमेरिका में पहले से ही यह बच्चों को दी जा रही है। क्या बच्चों पर फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल को भारत सरकार मंजूरी देगी? इस सवाल के जवाब में पॉल ने कहा कि भारत में वैक्सीन की कुशलता के टेस्ट जारी हैं। देश में बच्चों का वर्ग बड़ा है। लिहाजा, बड़े वैक्सीनेशन प्रोग्राम की जरूरत होगी। हमें बहुत अधिक संख्या में डोज की जरूरत होगी। ऐसा नहीं है कि कुछ को वैक्सीन दी जाएगी और कुछ को छोड़ दिया जाएगा।
देश में 12-18 साल की उम्र के कितने बच्चे?

देश में बच्चों की संख्या अच्छी खासी है। सरकार के मुताबिक, 12-18 साल के उम्र के बच्चों की आबादी अभी करीब 13-14 करोड़ है। इसका मतलब यह हुआ कि वैक्सीन की करीब 25-26 करोड़ डोज की आवश्यकता होगी। ऐसे में वैक्सीनेशन के लिए काफी ठोस रणनीति बनाने की जरूरत होगी। तमाम डॉक्टर और जानकार कह चुके हैं कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को हो सकता है। इसके लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी। अभी बच्चों के लिए देश का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत मजबूत नहीं है। अगर तीसरी लहर आई और आंशका के अनुसार उसने बच्चों को अपनी चपेट में लिया तो यह नाकाफी साबित होगा।
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