ऐतिहासिक है बिहार का वट वृक्ष: इसके नीचे पृथ्वीराज चौहान कर चुके हैं आराम, डेढ़ एकड़ में फैली हैं जड़ें

शिवहर के विशाल बरगद के पेड़ की मान्यता है कि इस पेड़ को नुकसान करने वालों का परिवारिक और आर्थिक नुकसान होता है। जिसके कारण न तो इस पेड़ की कटाई की जाती है और ना ही कोई नुकसान पहुंचाया जाता है। जिसके कारण यह पेड़ फैलता जा रहा है।
बिहार के शिवहर जिले के पुरनहिया प्रखंड क्षेत्र के बसंत जगजीवन एवं अशोकगी के बीच में स्थित बोधि माता मंदिर के पास बरगद (वट वृक्ष) और पीपल का एक साथ सटा 1266 ईस्वी के करीब का बरसों पुराना पेड़ है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है। इस एक ही पेड़ की शाखाएं करीब 1.5 एकड़ जमीन में फैली हुई है।
बौधि माता से जुड़ा हुआ है इस बरगद के पेड़ का संबंध

इस पेड़ की छांव के अंदर गर्मी के दिनों में लोग शीतल हवा का आनंद लेते हैं। बसंत जगजीवन के मुखिया कामलेंदु कुमार सिंह बताते हैं कि इस पेड़ का संबंध बौधि माता से जुड़ा हुआ है। जिसके कारण कोई भी पेड़ को नुकसान नहीं करता है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि 1266 से यहां पर यह वट वृक्ष स्थापित है। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।
नेपाल में जंग जीतकर लौटते वक्त इस वृक्ष के नीचे रुके थे पृथ्वीराज चौहान

कहा जाता है कि नेपाल के थानेश्वर में सफल लड़ाई के बाद पृथ्वीराज चौहान अपने सैनिकों के साथ यहां रुके थे। इसकी चर्चा चंदबरदाई लिखित पृथ्वीराज रासो में भी मिलती है। कहा गया है कि पृथ्वीराज चौहान जब यहां रुके थे तो बौधि माता ने उन्हें स्वप्न दिया था कि तुम संयोगिता से शादी मत करना। संयोगिता से शादी के वक्त पिता और पति दोनों का घर सूना हो जाएगा। लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता से शादी रचाई, जिसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ा।
कोरोना से इस गांव में नहीं हुई किसी की मौत

यह भी बताया जाता है कि बसंत जगजीवन गांव 20 घंटे तक प्राकृतिक ऑक्सीजन से सराबोर रहता है। इस गांव के पश्चिमी छोर और अशोकगी गांव के दक्षिणी छोर के बीच में करीब 1.5 एकड़ में फैला विशाल बरगद के वृक्ष ने कोरोना काल में लोगों को अपनी छांव में सहेज कर रखा। इस विशाल पेड़ के कारण इतने बड़े संक्रमण काल में यहां के लोगों की कोरोना से मौत नहीं हुई। कुछ लोग बीमार भी हुए तो घर में ही स्वस्थ हो गए।
दिनभर में 250 लीटर ऑक्सीजन देता है यह बरगद का वृक्ष

शिवहर के कृषि समन्वयक संतोष प्रियदर्शी ने बताया कि वटवृक्ष 24 घंटा में 20 घंटा तक ऑक्सीजन छोड़ता है। इस हिसाब से और इसके फैलाव को देखते हुए यह दिन भर में लगभग 250 लीटर ऑक्सीजन देता है।
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