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एमपी के किसानों को नहीं मिल रहे सोयाबीन के बीज, सोया स्टेट के दर्जे पर खतरा

भोपाल सोयाबीन का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला एमपी सोया प्रदेश का दर्जा गंवा सकता है। पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद किसानों को इस साल अच्छी गुणवत्ता वाले बीज नहीं मिल रहे और अब सरकार भी उन्हें इसके बदले दूसरी फसलें उगाने को प्रोत्साहित कर रही है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र देश में 89 फीसदी सोयाबीन का उत्पादन करते हैं। एमपी के मालवा क्षेत्र में ही इसका करीब 50 फीसदी उत्पादन होता है। पिछले साल प्रदेश में करीब 58.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन को बुआई हुई थी। महाराष्ट्र में भी करीब 43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसके बीज बोये गए थे। पिछले साल करीब-करीब पूरे प्रदेश में सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी। इसके चलते किसानों को सोयाबीन के अच्छे बीज नहीं मिल रहे। बीज की कीमत 10 से 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन उनकी गुणवत्ता ऐसी है कि फसल उगने की गारंटी नहीं है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार किसानों को सलाह दे रही है कि वे सोयाबीन की जगह दूसरे नकदी फसल उगाएं। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में प्रदेश के ने बताया कि शीर्ष अधिकारियों के साथ मीटिंग में उन्होंने निर्देश दिए हैं कि किसानों को दलहन और मक्का जैसी अन्य फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करें। पटेल ने कहा कि पिछले 35 वर्षों से प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन हो रहा है। इसके चलते बीजों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। पिछले साल फसल खराब होने के चलते इस साल बीज की कीमत भी ज्यादा हो गई है। यदि किसान 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल बीज खरीद कर फसल बोता भी है तो उसे फसल की कीमत नहीं मिल पाएगी। पटेल ने कहा कि सोयाबीन पहले किसानों के लिए वरदान था, लेकिन अब बर्बादी है। इधर, सरकार के बदले नजरिये की आलोचना भी शुरू हो गई है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे साजिश करार देते हुए कहा है कि यदि सभी किसान दलहन उगाने लगें तो कुछ सालों बाद उसकी कीमत भी कम हो जाएगी। ये सवाल भी उठ रहे हैं कि यदि बीजों की गुणवत्ता खराब हो रही है तो इसके लिए बनी सरकारी एजेंसियां क्या कर रही हैं।


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