Top Story

पैंगोंग झील में गश्त के लिए भारतीय सेना को मिलेंगी स्पेशल बोट्स, चीन को देगी टक्कर

नई दिल्ली भारत और चीन के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनातनी के बीच इंडियन आर्मी ने आखिरकार पैंगोंग त्सो में तैनाती के लिए विशेष नौकाओं की प्रारंभिक डिलीवरी शुरू कर दी है। आर्मी ने छह-सात महीने पहले स्पेशल बोट्स के लिए दो कॉन्ट्रेक्ट किए थे। पहला कॉन्ट्रेक्ट 65 करोड़ रुपये में 12 फास्ट पेट्रोलिंग बोट्स के लिए डिफेंस पीएसयू गोवा शिपयार्ड से हुआ था। इसमें एडवांस सर्विलांस इक्यूपमेंट और अन्य उपकरण लगाए जाने थे। 

20 सैनिकों को तेजी से ले जा सकती है

दूसरी डील गोवा में एक प्राइवेट शिपयार्ड से हुआ था। इसमें सैनिकों को ले जाने वाली, फ्लैट-बॉटम फाइबरग्लास की 17 बोट की बात हुई थी। ऐसे बोट्स इंडियन नेवी को भी सप्लाई किए जाते हैं। एक सूत्र ने बताया कि ये बोट लगभग 20 सैनिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक तेजी से ले जा सकती हैं। इनकी प्रारंभिक डिलीवरी शुरू हो गई है। 

7-8 साल पहले शामिल हुई थी बोट्स

सेना ने सात-आठ साल पहले 13,900 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग त्सो में गश्त के लिए 17 क्यूआरटी (क्विक-रिएक्शन टीम) नौकाओं को शामिल किया था। लेकिन पिछले साल अप्रैल-मई में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने अपनी रणनीति बदली। इंडियन आर्मी ने पीएलए की तरफ से इस्तेमाल की जा रही भारी टाइप -928 बी गश्ती नौकाओं से मुकाबले के लिए अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता महसूस की। 

भारत पर भारी पड़ता था चीन

भारतीय और चीनी दोनों सैनिक गर्मी के महीनों के दौरान पैंगोंग त्सो के अपने क्षेत्रों में पैदल और नावों पर सक्रिय रूप से गश्त करते हैं। सेना को क्यूआरटी नावें मिलने से पहले, यह अपनी पुरानी धीमी गति से चलने वाली नावों से काफी प्रभावित हुआ करती थी। पीएलए अक्सर भारतीय नौकाओं को अपनी भारी नौकाओं से टक्कर मारकर उन्हें दबा देता था। 

फरवरी में हुआ था पीछे हटने का समझौता

इस साल फरवरी में भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समझौता हुआ था। इसके बाद दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए थे। पैगॉन्ग त्सो 134 किलोमीटर लंबी झील है जिसका दो-तिहाई हिस्सा चीन के नियंत्रण में है। यह तिब्बत से भारत तक फैला हुआ है।



from https://ift.tt/3vekGXP https://ift.tt/2EvLuLS