राहुल की 'चौकड़ी' से पहले सिंधिया और अब जितिन भी खिसक गए, अब बचे बस दो नाम

नई दिल्ली कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, आज एक बार फिर यह बात सामने निकल कर आ गई। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह एक झटका है, साथ ही राहुल गांधी के लिए भी यह बहुत परेशान करने वाली खबर है। जो चार नेता सालों से राहुल के करीबी माने जाते रहे हैं, उनमें अब दो पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। राहुल गांधी जब कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब इन्हीं चारों नेता उनके सबसे करीब थे और इनकी चर्चा भी खूब हुआ करती थी।
कांग्रेस से भी बड़ा राहुल गांधी को झटका
ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा- ये वो चार नाम हैं जो सालों तक राहुल गांधी के करीबी रहे। राहुल गांधी की युवा टीम को लेकर जब भी चर्चा होती, इनका जिक्र जरूर आता। संसद के भीतर और बाहर भी, कई मौकों पर ये साथ ही देखे जाते थे। इस चौकड़ी में अब दो ही राहुल गांधी के साथ बचे हैं। बड़ा सवाल यह है कि ये दोनों भी राहुल का साथ कब तक दे पाएंगे क्योंकि भीमकाय होती बीजेपी के सामने पस्त पड़ी कांग्रेस में नई जान फूंकने की आस पर बार-बार पानी फेरा जा रहा है और नए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कोई ना कोई बहाने टाल दिया जा रहा है।
चौकड़ी में बचे दो साथी, वो भी नाराज
पिछले साल राजस्थान में क्या कुछ हुआ, यह सबने देखा। यह झगड़ा अब भी खत्म नहीं हुआ है। पिछले साल जो अंदरखाने आग लगी थी, उसका धुआं अब तक छंटता नहीं दिख रहा है। राजस्थान में अपने ही मुख्यमंत्री के खिलाफ बागी हुए सचिन पायलट काफी मशक्कत के बाद पार्टी के साथ बने तो रह गए, लेकिन उनकी नाराजगी कम नहीं हुई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच क्या चल रहा है, यह बात शायद ही किसी से छिपी हो। कांग्रेस आलाकमान की ओर से लाख कोशिशों के बावजूद भी मामला पूरी तरह शांत नहीं हुआ है और सचिन पायलट बार-बार अलग-अलग तरीके से अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं।
तमतमाए दिख रहे हैं देवड़ा
राहुल गांधी के करीबियों में जो दूसरा नाम बच गया है, वो है मिलिंद देवड़ा का। देवड़ा के पिछले कुछ बयानों पर गौर किया जाए तो इस आशंका को नकारना कठिन हो जाएगा कि हो ना हो, वो भी राहुल को अंगूठा दिखा दें। भारत-चीन मसले पर राहुल गांधी के रुख पर सवाल उठाना हो या महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपीके साथ गठबंधन की सरकार को लेकर दिया गया बयान हो, देवड़ा अंदर से तमतमाए जान पड़ते हैं।
राहुल की बढ़ेगी चुनौती
कांग्रेस के लिए मौजूदा समय काफी चुनौतियों भरा है। ऐसे वक्त में जब पार्टी अपने लिए अगला अध्यक्ष नहीं तय कर पा रही है तब एक-एक करके युवा नेताओं का विरोधी खेमे में चले जाना, संकट को कई गुना बढ़ाने का सबब बन रहा है। राजस्थान में जीत के बाद भी सचिन पायलट को हाशिए पर ढकेल दिया गया तो दूसरी ओर कमलनाथ सरकार बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी पार्टी के अंदर प्रतिष्ठा प्राप्त करने का इंतजार करते रह गए। नतीजा यह हुआ कि ज्योतिरादित्य ने कमल थाम लिया और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता चली गई। राजस्थान में सचिन पायलट की नाराजगी के बाद वहां की सरकार भी हिल गई। कांग्रेस का एक धड़ा पहले से ही नाराज है तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी के ही करीबी नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसे में सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं राहुल गांधी के लिए भी चुनौती और बढ़ जाएगी।
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