पाक न कर दे खुराफात, तालिबान से भारत की 'चुपचाप' बात, डोभाल फिर मिशन पर!

नई दिल्ली अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर भारत की भी नजर है। माना जा रहा है कि भारत ने तालिबान के साथ बातचीत भी की है। कतर के विशेष दूत के मुताबिक भारतीय अधिकारियों ने तालिबान के नेताओं से मुलाकात के लिए दोहा का दौरा किया है। कतर के आतंकनिरोधी और टकरावों में मध्यस्थता की भूमिका अदा करने वाले विशेष दूत मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने वेब कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारतीय अधिकारियों ने दोहा में तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात की। तालिबान के साथ बातचीत क्यों मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने कहा कि भारत की ओर से तालिबान के साथ बातचीत इसलिए नहीं की जा रही कि अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन आ जाएगा। हां इतना जरूर है कि भविष्य में तालिबान की अफगानिस्तान की अहम भूमिका होगी। यही कारण है कि हर पक्ष बातचीत को तैयार दिख रहा है। मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने कहा कि मेरा जहां तक मानना है कि भारतीय अधिकारियों की तालिबान प्रतिनिधियों से उनकी बातचीत भविष्य को ध्यान में रखकर की गई है।आने वाले समय में तालिबान अफगानिस्तान के नीति निर्धारण में अहम भूमिका अदा करने वाला है। मेरी सभी पक्षों से अपील है कि पूरे मामले का शांतिपूर्ण कोई हल निकले। अजित डोभाल की है नजर ऐसा बताया जा रहा है कि भारतीय अधिकारियों की बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के दिशानिर्देश में आगे बढ़ रही है। हालांकि सरकार की ओर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। तालिबान की ओर से भी बातचीत पर कुछ नहीं कहा गया है। भारत की अफगानिस्तान की सरकार से बातचीत की प्राथमिकता है लेकिन ग्राउंड पर कोई बदलाव होता है इसको ध्यान में रखकर तालिबान से भी बातचीत हो रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बातचीत को लेकर पूछे गए एक सवाल के संबंध में कहा कि अफगानिस्तान को लेकर भारत का नजरिया स्पष्ट है। अफगानिस्तान के विकास में भारत की ओर से सहयोग जारी रहेगा। अफगानिस्तान के लोगों को पिछले कार्यों के आधार पर अपने सहयोगियों की परख करनी है कि किस प्रकार उनके कार्यों ने अफगान लोगों को प्रभावित किया। एस जयशंकर का खाड़ी देशों का दौरा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कतर के विदेश व रक्षा मंत्रियों से मुलाकात कर द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की और वैश्विक क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। यह एक सप्ताह के अंदर विदेश मंत्री का खाड़ी देश का दूसरा दौरा है। कतर, अफगानिस्तान शांति वार्ता प्रक्रिया में शामिल है और इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई। एस जयशंकर ने इससे एक दिन पहले केन्या के शीर्ष नेतृत्व के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति समेत वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी । इसके बाद उन्होंने दोहा में अपने समकक्ष मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी के साथ मुलाकात की, जो कतर के उप प्रधानमंत्री भी हैं। इधर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से इसी हफ्ते शुक्रवार को वॉशिंगटन में मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सेना की वापसी के बाद की रणनीति पर होगी। अफगानिस्तान को समर्थन में बोले विदेश मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए सच्चे अर्थों में देश के भीतर और इसके आसपास दोहरी शांति की आवश्यकता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं किये जाने की नीति अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चर्चा के दौरान कहा कि हिंसा में तत्काल कमी और असैन्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत अफगानिस्तान में स्थायी और व्यापक संघर्ष विराम चाहता है। उन्होंने पाकिस्तान के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा, अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिये आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाह को तत्काल नष्ट करना चाहिए और उनकी आपूर्ति श्रृंखला बाधित की जानी चाहिए। सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कतई बर्दाश्त नहीं किये जाने की नीति की आवश्यकता है।
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