ब्लॉगः वायरस की चुनौतियों के बीच पेटेंट में छूट की जरूरत बढ़ती जा रही है
वर्ष 1903 में क्यूरी दंपति ने रेडियोधर्मिता पर महत्वपूर्ण खोज की और ए. हेनरी बैकेरल के साथ भौतिक शास्त्र में नोबेल पुरस्कार साझा किया। इसके तुरंत बाद यह पाया गया कि कैंसर के इलाज में रेडियम बहुत प्रभावी होता है, लेकिन उसकी लागत 1.5 लाख डॉलर प्रति ग्राम पड़ती थी। ऐसे में क्यूरी दंपति के दोस्तों और शुभचिंतकों ने उन्हें सुझाव दिया कि युरेनियम के खनन की पद्धति को पेटेंट करा लें, परंतु दंपति ने अपनी खोज को पूंजी में बदलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा 'रेडियम दया का एक उपकरण है और पूरी मानवता का इस पर अधिकार है।'वर्तमान में वैश्विक महामारी की वजह से पेटेंट के औचित्य पर बहस शुरू हो गई है। भारत, दक्षिण अफ्रीका और अन्य विकासशील देश मांग कर रहे हैं कि कोविड-19 से संबंधित दवा उपकरणों और टीकों के मामले में पेटेंट से जुड़े प्रावधानों में छूट दी जाए। जर्मनी जैसे देश, जो छूट के खिलाफ हैं, कहते हैं कि इससे अन्वेषक हतोत्साहित होंगे। यह इकलौता तर्क है जो शुरू से पेटेंट के पक्ष में दिया जा रहा है।
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