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छतरपुर में दलित परिवार पर दबंगों का कहरः डीआईजी ने पुलिस पर लग रहे आरोपों से किया इनकार, पीड़ितों को हर संभव मदद का आश्वासन

छतरपुर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दलित परिवार के साथ रूह कंपाने वाली घटना हुई। इसके बाद से पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, लेकिन छतरपुर रेंज के डीआईजी ने मामले में लीपापोती की आशंका से इनकार किया है। एनबीटी के साथ खास बातचीत में डीआईजी विवेक राज सिंह ने कहा है कि पुलिस पीड़ित परिवार के साथ है और उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है। बुधवार सुबह एनबीटी के रिपोर्टर से बातचीत करते हुए डीआईजी ने बताया कि पुलिस को 25 मई को घटना के बारे में जानकारी मिली थी। इसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है और आगे की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस पीड़ित पक्ष के साथ है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मामले पर लगातार नजर रख रहे हैं। वे खुद एसपी सचिन शर्मा के साथ पीड़ित परिवार से मिलने गए थे। उन्होंने पीड़ित महिलाओं के बयान लिए हैं और उन्हें हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया है। डीआईजी ने बताया कि पुलिस ने एक जांच दल गठित किया है जिसमें एक महिला अधिकारी को भी रखा गया है। पीड़ित महिला के साथ बलात्कार के आरोपों पर उन्होंने कुछ भी खुलकर बताने से इनकार कर दिया। विवेक राज सिंह ने कहा कि यह जांच का विषय है। इससे संबंधित जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। पीड़ित परिवार पर समझौते के लिए दबाव की संभावना को भी उन्होंने नकार दिया। डीआईजी ने कहा कि इस तरह के मामलों में राजीनामा नहीं होता है। अगर राजीनामा या किसी अन्य चीज को लेकर पीड़ित परिवार को धमकियां मिल रही हैं या कोई दबाव दे रहा है तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे। इसमें कोई पुलिसकर्मी भी शामिल हुआ तो उसे नहीं बख्शा जाएगा। पीड़ित परिवार की सुरक्षा के लिए पुलिस को तैनात करने की जानकारी भी उन्होंने दी। इससे पहले मंगलवार को एनबीटी के रिपोर्टर ने पीड़ित महिलाओं से उनके गांव जाकर मुलाकात की थी तो उन्होंने चौंकाने वाली जानकारियां दी थीं। महिलाओं ने बताया था कि अब तक उनकी मेडिकल जांच नहीं की गई, न ही इलाज का इंतजाम किया गया है। घटना के सामने आने के 7 दिन बाद भी महिलाओं के पूरे शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान हैं। इनमें से एक महिला 5 महीने की गर्भवती है। उसने गांव के दबंगों पर बच्चों के सामने रेप करने के आरोप लगाए हैं। आरोपियों ने उसके पेट पर भी चोट पहुंचाई है और उसे डर है कि गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। मामले में पुलिस की भूमिका पर भी शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि खजुराहो से 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव में पीड़ित परिवार को दबंगों ने चार दिन तक बंधक बनाकर रखा, लेकिन पुलिस को इसकी जानकारी नहीं मिली। मीडियाकर्मियों ने बताया, तब पुलिस ने उन्हें छुड़ाया। इसके बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार करने की खानापूर्ति कर ली गई, लेकिन उनके खिलाफ दुष्कर्म की धाराएं नहीं लगाई गईं। फिलहाल इस मामले को लेकर प्रदेश के राजनीतिक दल और मानवाधिकार आयोग भी सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी एक जांच दल गठित की है। मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे। इधर, मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले में पुलिस को एक नोटिस भेजा है।


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