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घर-घर जाकर ही वैक्सीन क्यों नहीं दे देते? हाई कोर्ट के सवाल पर सरकार का जवाब

मुंबई: कोविड-19 के खिलाफ के लिए गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (Negvac) ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि विशेष परिस्थिति में भी किसी को उसके घर पर वैक्सीन नहीं लगाई जाएगाी। केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को दिए हलफनामें में कहा कि एक्सपर्ट ग्रुप की सर्वसम्मत राय है कि बुजुर्गों और दिव्यांगों को उनके घर पर जाकर वैक्सीन की डोज लगाने में जोखिम है। 

एक्सपर्ट ग्रुप की सिफारिश का हवाला 

एक्सपर्ट ग्रुप ने भले ही घर-घर टीकाकरण अभियान का 'वैज्ञानिक तथ्यों' के आधार पर विरोध किया हो, लेकिन उसने 27 मई से 'घर के नजदीक' वैक्सीनेशन सेंटर स्थापित करने की नीति को मंजूरी दे दी थी। विशेषज्ञ समूह का कहना है कि घर-घर जाकर टीका लगाने में कुछ गड़बड़ी होने पर समय रहते कदम उठाना और कोल्ड चेन का मेंटनेंस मुश्किल हो सकता है। उसने कहा कि बुजुर्गों और बेड पर पड़े मरीजों के आवागमन में असुविधा के मद्देनजर ही विद्यालय परिसरों, पंचायत घरों, वृद्धाश्रमों, सामुदायिक केंद्रों, आवासीय परिसरों आदि में टीकाकरण केंद्र खोले गए हैं। 

दो वकीलों ने दी थी PIL 

बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस गिरीश कुलकर्णी की बेंच ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र से कहा कि अगर घर-घर जाकर टीका नहीं लगाने के ठोस वैज्ञानिक कारण बताएंगे तो हम दखल नहीं देंगे। दरअसल, दो वकीलों ने याचिका दायर कर घर-घर टीकाकरण की मांग की थी। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार को सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक भी व्यक्ति टीकाकरण अभियान के दायरे में आने से बच न जाए। 

केंद्र के तर्कों पर हाई कोर्ट का सवाल 

केंद्र सरकार ने घर-घर टीकाकरण के विचार के विरोध में दो और बातें कही थीं जिन पर हाई कोर्ट ने सवाल उठा दिया। केंद्र ने कहा था कि घर-घर टीकाकरण में अभियान में शामिल लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों पर समाज का बेवजह दबाव रहेगा और उनकी सुरक्षा की भी चिंता रहेगी। उसने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों और उनके सहकर्मियों को घर-घर जाने से खुद संक्रमित होने का भी खतरा रहेगा। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहेगी तो इन चिंताओं को दूर किया जा सकता है। 

बदल सकती है नीति 

याचिकाकर्ता एडवोकेट धृति कपाड़िया ने हाई कोर्ट से कहा कि टीकाकरण के बाद गड़बड़ी का प्रतिशत बहुत कम है। इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने कहा, "इतनी बड़ी आबादी वाला कौन सा दूसरा देश ऐसा कर पा रहा है? सरकार भी यह कर सकती है। आपको अपना तरीका ढूंढना होगा।" एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट को बताया कि भविष्य में नीति में बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "हम व्यावहारिक तौर पर दरवाजे पर ही पहुंच रहे हैं। अभी की पॉलिसी में आगे बदलाव हो सकता है।"



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