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राम मंदिर जमीन सौदा, ट्रस्ट ने फिर कहा सारे आरोप झूठे, एक-एक पॉइंट में दिए जवाब

उत्तर प्रदेश: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के जमीन की खरीद में घोटाले के आरोपों पर हंगामा मच गया है। विपक्षी दल इस मामले में जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हालांकि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आरोपों का खंडन किया है। ट्रस्ट की ओर से एक बार फिर से बयान जारी करके जमीन को ज्यादा कीमत पर खरीदने के लगे आरोपों को निराधार बताते हुए एक-एक पॉइंट्स पर सफाई दी गई है। चंपत राय ने राम भक्तों से साफ कहा है वे किसी भी बात पर विश्वास न करें। चंपत राय ने कहा है कि आरोप लगाने से पहले तीर्थ क्षेत्र के किसी भी पदाधिकारी से तथ्यों की जानकारी नहीं की, इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। समस्त श्री राम भक्तों से निवेदन है कि वे ऐसे किसी दुष्प्रचार में विश्वास न करें। 

'वास्तविक दर से जमीन बहुत कम कीमत पर खरीदी गई' 

जारी किए गए बयान में कहा गया है कि बाग बिजेसी में जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है वह बहुत प्राइम लोकेशन है। भविष्य में यहां से चार लेने की सड़क मंदिर की ओर निकलेगी। यह जमीन 1.2080 हेक्टेयर है। इसे 1423 रुपये पर स्कॉयर फीट पर खरीदा गया है जो अयोध्या में इस इलाके के जमीन की वास्तविक दरों से बहुत कम है। इन पॉइंट्स में दिए जवाब

  • - इस जमीन के लिए 2011 से कई बार अग्रीमेंट किए गए। अलग-अलग लोगों ने ये अग्रीमेंट किए लेकिन ये अग्रीमेंट पूरे नहीं हुए।
  • - इस जमीन को न्यास खरीदने का इच्छुक था लेकिन पहले चाहता था कि पूर्व में किए गए सारे अग्रीमेंट और मालिकाना हक क्लियर हो। इसमें करीब 9 व्यक्तिगत तौर पर लोग शामिल थे, जिन्होंने बीते 10 सालों में अग्रीमेंट किया, इनमें से तीन मुसलमान थे।
  • - हर एक से व्यक्तिगत संपर्क किया गया। उनसे मोलभाव किया गया। उनकी सहमति ली गई। तमाम प्रयास के बाद न्यास ने अंतिम अग्रीमेंट मालिकों से किया और बिना समय बर्बाद किए इसे खरीद लिया गया। यह बहुत जल्दी किया गया, लेकिन पूरी पारदर्शिता बरती गई।
  • - तीर्थ क्षेत्र का प्रथम दिवस से ही निर्णय रहा है कि सभी भुगतान बैंक से सीधे खाते में ही किए जाएंगे, संबंधित भूमि की खरीद प्रक्रिया में भी इसी निर्णय का पालन हुआ है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार द्वारा लगाए गए सभी कर आदि का भुगतान हो जाए।



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