कोरोना के घटे मामले तो पटना में फिर से खुलने लगे प्राइवेट क्लिनिक, पर इन बातों का ख्याल रखना होगा जरूरी

पटना बिहार में कोरोना की दूसरी लहर अब कमजोर पड़ने लगी है। गुरुवार को राज्य में 1,106 नए संक्रमितों की पहचान हुई। इस दौरान 38 में से नौ ऐसे जिले रहे, जहां 10 से भी कम पॉजिटिव केस सामने आए। यही नहीं रिकवरी रेट बढ़कर 97 फीसदी से ज्यादा हो गया है। कोरोना के कम होते मामलों के बीच राजधानी पटना में एक बार फिर से निजी क्लिनिक खुलने लगी हैं। हालांकि, इस दौरान उन्हें कोविड सेफ्टी को लेकर गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी होगा। पटना में फिर से गुलजार होने लगे प्राइवेट क्लिनिकसूबे में महामारी का संक्रमण बढ़ने के बाद शहर के ज्यादातर क्लिनिक संचालक डॉक्टरों ने ऑनलाइन ही कंसल्टेशन शुरू कर दिया था। हालांकि, अब स्थिति में कुछ सुधार के बाद उन्होंने अपनी क्लीनिक फिर से खोल दिए हैं और मरीजों को सामने से देखना शुरू कर दिया है। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है ऐसे में क्लिनिक संचालक मरीजों और अपने कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती उपाय अपना रहे हैं। जानिए डॉक्टरों का क्या है कहनाइंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के कार्यवाहक प्रेसीडेंट डॉ. अजय कुमार ने गुरुवार को बताया कि कुछ क्लीनिक लॉकडाउन के बीच फिर से खुल गए हैं, जबकि अन्य भी जल्द ही खुल जाएंगे। उन्होंने कहा कि क्लिनिक चलाने के दौरान यह सुनिश्चित करना डॉक्टरों की नैतिक जिम्मेदारी है कि मरीजों को परेशानी न हो। वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. दिवाकर तेजस्वी, जो कुछ समय पहले तक अपने मरीजों से ऑनलाइन कंसलटेशन कर रहे थे, उन्होंने 1 जून को अपना क्लिनिक फिर से खोल दिया। हालांकि, क्लिनिक में फेस शील्ड और मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य है। क्लिनिक में अपनाई जा रही हर जरूरी सेफ्टीमरीजों के साथ आमने-सामने बातचीत के महत्व पर जोर देते हुए डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि ऑनलाइन कंसलटेशन के दौरान मरीज की जांच में खई बातें छूटने की संभावना रहती। इसलिए हमने मरीजों से मिलने और उनके इलाज को ठीक से करने के लिए क्लिनिक खोलने का फैसला लिया। एक नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सिद्धार्थ कुमार ने भी 1 जून को अपना क्लिनिक खोला। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी भी मरीजों की संख्या कम है।
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