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गलवान घाटी हिंसा को आज एक साल पूरे, जानें LAC पर चीनी सेना कितनी मजबूत?

पेइचिंग आज, यानी 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई हिंसक सैन्य झड़प को एक साल पूरे हो गए हैं। 11 दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के बाद भी लद्दाख के अधिकतर इलाकों में हालात जस के तस हैं। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अपनी तरफ अतिरिक्त आवास का निर्माण किया है। इन इलाकों में सैनिकों के रहने के लिए चीन ने सड़कें, बंकर, नए बुनियादी ढांचे, अस्पतालों और छोटे-छोटे सैन्य चौकियों को बनाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने यह तैयारी इस वीरान इलाके में लंबे समय तक जमे रहने के लिए की है। तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा ड्रैगन द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सेना ने रुडोक, कांग्शीवार, ग्यांटसे और गोलमुड क्षेत्रों में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के अतिरिक्त आवास बनाए हैं। पीएलए के फील्ड अस्पतालों के निर्माण और अतिरिक्त स्नो मोबिलिटी वाहनों की खरीद से भी यही संकेत मिलता है कि वे इन इलाकों में लंबे समय तक सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार हैं। एक तरफ भारतीय सैनिकों का खौफ तो दूसरी तरफ यहां का बेरहम मौसम। यही कारण है कि पिछली सर्दियां चीनी सैनिकों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं थी। चीन ने एलएएसी पर रेजिमेंट की अदला-बदली की इस रिपोर्ट में खुफिया जानकारी के हवाले से बताया गया है कि पैंगोंग त्सो झील के इलाके में तैनात चीनी सेना के रेजीमेंट को हटाकर दूसरे रेजीमेंट की तैनाती की गई है। विवाद के समय से तैनात पीएलए के चौथे और छठे डिवीजनों को फरवरी में यहां से हटाकर रुतोंग काउंटी में रखा गया। तीन हफ्ते पहले इन्हें रुतोंग से भी हटाकर शिनजियांग प्रांत में स्थित सैन्य बेस पर ओवरहॉलिंग के लिए भेज दिया गया है। इनकी जगह पर चीनी सेना ने 8वें और 11वें डिवीजन को पैंगोंग के इलाके में तैनात किया है। प्रत्येक डिवीजन में दो मोबाइल इंफ्रेंटी रेजीमेंट (पैदल सेना), एक आर्मर्ड रेजीमेंट, एक आर्टिलरी रेजीमेंट और एक एयर डिफेंस रेजीमेंट शामिल हैं। लद्दाख से अरुणाचल तक सैन्य तैयारियां बढ़ा रहा चीन बताया जा रहा है कि चीन ने भारत के साथ तनाव वाले सभी स्थानों के पीछे की तरफ भारी संख्या में सैन्य निर्माण किया है। इन इलाकों में बंकर, सैनिकों के रहने के लिए आवास, अस्पताल, सप्लाई डिपो, आर्म्स डिपो जैसे कई युद्धक जरूरतों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है। चीनी सेना ने तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाके में युद्धाभ्यास भी किया है। जून के पहले हफ्ते में ही पीएलए ने तिब्बत के शिगात्से में छोटे हथियारों के साथ जंग का अभ्यास किया था। इस दौरान चीनी सेना ने एंटी टैंक रॉकेट लॉन्चर, ग्रेनेड लांचर, एंटी एयरक्राफ्ट मशीनगन समेत कई छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया था। एलएसी पर घातक हथियारों को तैनात कर रहा चीन चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने बताया था कि मई में भी पश्चिमी थिएटर कमांड के तहत शिनजियांग सैन्य जिले में पीएलए ने 5,200 मीटर की ऊंचाई पर लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट आर्टिलरी के एक यूनिट तैनात की है। इतना ही नहीं, चीन ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में तवांग के सामने 5,130 मीटर की ऊंचाई पर शन्नान आर्मी डिवीजन की एक रेजिमेंट द्वारा प्रशिक्षण भी आयोजित किया था। चीन ने कई नए हथियारों को एलएसी पर किया तैनात चीन ने लद्दाख से सटे इलाकों में 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात कर रखा है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। इसके अलावा चीन ने नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनात किया है। चीन के टाइप-15 लाइट टैंक, Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर, Z-8G ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्‍टर, GJ-2 आर्म्ड ड्रोन, जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर भी इसी इलाके में तैनात हैं।


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