World Environment Day: बंजर पहाड़ी को अकेले दम पर बना दिया हरा-भरा, आज लहलहा रहे हजारों पेड़

टीकमगढ़ मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में रहने वाले वैसे तो स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करते हैं, लेकिन उनकी असली पहचान एक पर्यावरण प्रेमी की है। उन्होंने पिछले 20 वर्षों में लाखों पेड़ लगाए हैं और अकेले दम पर एक वीरान पहाड़ी को हरा-भरा बना दिया है। नौकरीपेशा होने के बावजूद संतोष का पहला प्यार पौधे हैं। यही वजह है कि वर्ष 2012 में उन्होंने टीकमगढ़ जिले के श्रीनगर गांव में बंजर पड़ी 4.30 एकड़ की पहाड़ी को खरीदा और पौधारोपण का कार्य शुरू किया। 9 वर्षों के बाद यह पहाड़ी हरे भरे पेड़ों से भरी पड़ी है।
संतोष कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही पर्यावरण और पौधों से प्यार है। नौकरी में रह कर भी इस प्रेम में कमी नहीं आई है। पर्यावरण के प्रति उनकी सेवा भावना के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिल चुका है। वर्ष 2010 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की ओर से बसामन मामा स्मृति सम्मान से नवाजा गया था।
यह सम्मान पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को दिया जाता है। कोरोना संकट के मौजूदा दौर में जब ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की जानें जा रही हैं, तब पौधों का महत्व समझ में आता है। संतोष बताते हैं कि पौधों से मित्रता करने से कभी नुतलान नहीं होता। पौधे हमसे कुछ लेते नहीं, बल्कि बिना मांगे बहुत सारी चीजें देते हैं।
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