...तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के चलते कांग्रेस को लगा था बड़ा झटका, 2019 में प्रियंका चतुर्वेदी के पार्टी छोड़ने की वजह थे महाराज!

भोपाल ने भले मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ी हो, लेकिन उनकी विदाई से पहले ही पार्टी को लगे एक बड़े झटके का कारण वो बने थे। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उस समय पार्टी प्रवक्ता रही प्रियंका चतुर्वेदी ने अचानक कांग्रेस छोड़ दिया था और शिवसेना में शामिल हो गई थीं। पत्रकार राशिद किदवई की हाल में आई किताब द हाउस ऑफ सिंधियाज में खुलासा किया गया है कि इसके लिए काफी हद तक सिंधिया जिम्मेदार थे। 2014 से 2019 तक प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस की सबसे मुखर प्रवक्ताओं में से एक थीं। टीवी डिबेट में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखती थीं और सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव थीं। फिर लोकसभा चुनाव से आठ दिन पहले उन्होंने अचानक कांग्रेस छोड़ दी। उनके इस फैसले से सिंधिया भी आश्चर्यचकित रह गए थे, लेकिन इसमें कहीं न कहीं उनकी भूमिका भी थी। मुंबई में रहने वाली प्रियंका चतुर्वेदी मूलतः उत्तर प्रदेश की आगरा से हैं। 2019 के चुनाव में वे मुंबई उत्तर सीट से कांग्रेस का टिकट चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने उर्मिला मातोंडकर को उम्मीदवार बना दिया। चतुर्वेदी इससे पहले ही खफा थीं। इसी दौरान आगरा में हुई एक घटना को लेकर पार्टी के फैसले ने उन्हें अंदर से दुखी कर दिया और चतुर्वेदी ने तुरंत ही कांग्रेस छोड़ने का फैसला कर लिया। मामले की शुरुआत सिंतंबर, 2018 में हुई थी जब प्रियंका चतुर्वेदी आगरा में राफेल मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं। इस दौरान एक स्थानीय नेता के इशारे पर कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। हालात ऐसे बन गए कि चतुर्वेदी बीच में ही प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ कर चली गई थीं। उनके साथ गलत व्यवहार और गाली-गलौज करने वाले युवक उस कमरे तक घुस आए थे जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद वो परेशान बैठी थीं। दरअसल, उस समय चर्चाएं चल रही थीं कि कांग्रेस पार्टी चतुर्वेदी को आगरा से हेमामालिनी के खिलाफ चुनावी मुकाबले में उतार सकती है। इससे स्थानीय पार्टी नेता चिंतित थे। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के महासचिव थे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे। चतुर्वेदी ने इसकी शिकायत पार्टी के शीर्ष नेताओं से की। मामला राहुल गांधी तक पहुंचा और उन्होंने सिंधिया से इस बारे में बात भी की। इसके बाद सिंधिया ने घटना के लिए जिम्मेदार आठ पार्टी नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन आठ दिन बाद ही सभी का निलंबन वापस ले लिया गया। जानकारी के मुताबिक निलंबन वापस लेने का फैसला राज बब्बर के इशारे पर लिया गया जो उस समय यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। सभी आरोपी कार्यकर्ताओं ने लिखित में माफी मांगी थी और इस तरह का व्यवहार दोबारी नहीं करने का आश्वासन दिया था। प्रियंका चतुर्वेदी पार्टी के इस फैसले से बेहद आहत थीं। उन्होंने ट्विटर पर इसे व्यक्त भी किया। चतुर्वेदी ने लिखा कि पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने वालों से ज्यादा महत्व गुंडों को दिया जाता है। मैं कांग्रेस के लिए दूसरी पार्टी के लोगों से लड़ती हूं, लेकिन अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया, फिर भी उन्हें कोई सजा नहीं दी गई। किताब में बताया गया है कि इसके बाद सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने भी सिंधिया से इस बारे में बात की, लेकिन उन्होंने फैसला वापस लेने से इनकार कर दिया। सिंधिया ने इसके लिए स्थानीय पाजनीतिक परिस्थितियों का हवाला दिया। प्रियंका चतुर्वेदी इसे सहन नहीं कर पाईं और कांग्रेस छोड़ दी।
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