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अंग्रेजी जबान नहीं, क्लास है... देश में 26%, तो दिल्ली में 59% बच्चे हुए इंग्लिश मीडियम

नई दिल्ली इस देश में अंग्रेजी जबान नहीं क्लास है... साल 2017 आई फिल्म हिन्दी मीडियम का यह डायलॉग हमारे समाज की हकीकत को बयां करता है। इंग्लिश मीडियम में बच्चों को पढ़ाने की चाह आम आदमी से लेकर खास तक में है। देश के स्कूलों में इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या इस बात की तस्दीक करती है। पिछले एक साल में देश के कई राज्यों में इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वालों बच्चों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। आज देश के 26% यानी एक चौथाई बच्चे से ज्यादा बच्चे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इस मामले में हरियाणा में सबसे अधिक 23 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली में 59% बच्चों के मां-बाप ने अपने बच्चों का दाखिल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में करवाया है। बदल रहा है हरियाणा इंग्लिश मीडियम का ग्राफहरियाणा में अंग्रेजी को लेकर एक अलग ही नजरिया है। आमतौर पर माना जाता है कि हरियाणा के लोग अंग्रेजी से दूर भागते हैं। राज्य की यह तस्वीर अब धीरे-धीरे बदल रही है। हरियाणा में जहां साल 2014-15 में महज 27 परसेंट बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहे थें, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 50.8 परसेंट हो गई है। हरियाणा के बाद इंग्लिश मीडियम पढ़ने वालों में सबसे अधिक तेज बढ़ोतरी तेलंगाना (21.7%) में हुई है। तेलंगाना में इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 73.8 परसेंट हो गई है। इंग्लिश मीडियम से पढ़ने वालों में J&K टॉप इंग्लिश मीडियम से पढ़ने वाले बच्चों की संख्या के मामले में जम्मू और कश्मीर पहले नंबर पर है। यहां 100 परसेंट बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं। इसके बाद दूसरा नंबर तेलंगाना का है। तेलंगाना में जहां 73 परसेंट बच्चे इंग्लिश मीडियम से पढ़ते हैं, वहीं तेलुगु मीडियम से पढ़ने वालों बच्चों की संख्या 23.7 परसेंट है। लिस्ट में केरल (64.5%) तीसरे, आंध्र प्रदेश (63%) चौथेऔर दिल्ली (59%) पांचवें स्थान पर है। सबसे अधिक हिंदी माध्यम से हो रही पढ़ाई देश के भले ही करीब एक तिहाई बच्चे इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन हिंदी अभी भी सबसे अधिक पढ़े जाने वाला माध्यम है। देश में अभी 42 परसेंट बच्चों की पढ़ाई हिंदी माध्यम से हो रही है। इसके बाद अंग्रेजी दूसरे और फिर बंगाली और मराठी क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। देश में 6.7 परसेंट बच्चे बंगाली माध्यम से पढ़ाई करते हैं। वहीं, मराठी माध्यम से पढ़ने वाले कुल बच्चे 5.6 परसेंट हैं।


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