अच्छी खबर- गंगा में नहीं मिला कोरोना वायरस, बुरी खबर- प्रदूषण इतना कि गंगाजल न पीने लायक न नहाने के काबिल
गाजीपुरगाजीपुर में मई महीने में गंगा में जल प्रवाहित लाशों के मिलने के बाद प्रशासन की परेशानी बढ़ गई थी। लाशों के मिलने से गंगा के पानी के दूषित होने की बात कही जा रही थी। लेकिन लखनऊ से आई एक्सपर्ट टीम ने गंगाजल की जांच करके दावा किया है कि गंगाजल में कोरोना के वायरस नहीं हैं। हां, यह जरूर सामने आया कि गंगाजल प्रदूषण के चलते न पीने लायक है न नहाने लायक। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) की टीम ने पिछले महीने दो चरणों मे गंगाजल के नमूनों की जांच की। आईआईटीआर लखनऊ की टीम ने गाजीपुर के बारा और बिहार के चौसा के बीच का सैंपल लेकर यह जांच की। जांच में पता चला कि गंगा में जल प्रवाहित शवों के कारण कोरोना वायरस का संक्रमण गंगा के पानी में नहीं फैला है। कुछ केमिकलों की मात्रा मानकजांच के बारे में आईआईटीआर के प्रभारी निदेशक प्रो.एसके बारीक ने मीडिया को बताया कि गंगा के पानी का सैंपल लेकर उसका आरटीपीसीआर किया गया, पानी मे कोरोना वायरस तो नहीं मिला लेकिन कुछ केमिकलों की मात्रा मानक से ज्यादा मिली है। इसके साथ ही ई-कोलाई बैक्टीरिया की मात्रा गंगाजल में मिला है, साथ ही गंगाजल जल में ऑक्सीजन की मात्रा मानक से कम पाई गई है। दो चरणों मे हुईं सैम्पलिंगगंगा में जल विसर्जित शवों के पाए जाने के बाद गंगाजल में प्रदूषण के स्तर को जांचने की जिम्मेदारी नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने यूपी-बिहार के पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के साथ ही आईआईटीआर को सौंपी थी। पहले चरण की जांच के लिए 24 मई से 6 जून तक नमूने एकत्र किए गए। वहीं दूसरे चरण के लिए 10 जून से 21 जून के बीच सैम्पलिंग की गई। इसके बाद अंतिम रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी गई हैं।
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