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शतरंज का सबसे कम उम्र का ग्रैंडमास्टर बुडापेस्ट में इतिहास रच रहा था, भोपाल में एक परिवार की निगाहें टीवी पर टिकी थीं, जानिए क्या है ये कनेक्शन

भोपाल उसके दादाजी ने चार साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि अभिमन्यु इतिहास बनाएगा। तब अभिमन्यु केवल आठ साल का था। 30 जून को अभिमन्यु ने शतरंज के इतिहास में बन इसे सही साबित कर दिया। यह देखने के लिए उसके दादाजी नहीं थे। वे पिछले साल कोरोना महामारी के शिकार हो गए, लेकिन अभिमन्यु जब यह उपलब्धि अपने नाम कर रहा था, तब भोपाल में उसकी दादी और चाचा-चाचियों का पूरा परिवार टीवी पर निगाहें जमाए हुए था। अभिमन्यु के पापा हेमंत मिश्रा ने मैनिट, भोपाल से एमटेक की डिग्री ली है। उसकी मां स्वाति मिश्रा उत्तर प्रदेश के आगरा की हैं। पापा हेमंत ने साल 2000 में एमटेक की डिग्री पूरी की। इसके पांच साल बाद वे अमेरिका चले गए। अभिमन्यु न्यू जर्सी में रहता है। उसने यह उपलब्धि बुडापेस्ट में वेजरकेप्जो जीएम मिक्स टूर्नामेंट जीत कर हासिल की। इस जीत के साथ अभिमन्यु ने वर्ल्ड कप में अमेरिका के लिए खेलने की योग्यता हासिल कर ली है। वह अमेरिका में भले रहता हो, लेकिन भोपाल अब भी उसकी यादों में है। कोरोना वायरस ने उसके दादाजी को उस से छीन लिया, अभिमन्यु उसको भी नहीं भूला। जीत के बाद अपने ट्वीट में अभिमन्यु ने इसे याद किया। उसने लिखा, पिछले 14 महीने इस महामारी ने मेरा रास्ता रोक लिया, सहयोग के लिए सबका शुक्रिया। अब वर्ल्ड कप की बारी है। अभिमन्यु के पापा का कॉन्फिडेंस ऐसा था कि उन्होंने बुडापेस्ट से रिटर्न टिकट बुक ही नहीं कराया था। उन्हें पक्का विश्वास था कि अभिमन्यु टूर्नामेंट से खाली हाथ वापस नहीं लौटेगा। उसे इतिहास बनाते हुए देखने वाली दादी गीता मिश्रा को भी यही भरोसा था। चार साल पहले दादाजी ने यही तो कहा था। 30 जून को बुडापेस्ट में अभिमन्यु की हरेक चाल पर एक-दूसरे को बधाई देने वाले उसके चाचा और चाचियों को भी यह भरोसा था। भोपाल के कोलार क्षेत्र में रहने वाली अभिमन्यु की दादी कहती हैं, उसने अपने दादाजी का सपना पूरा किया है। उसकी हर चाल में जीत का विश्वास था। दादी के विश्वास का कारण अभिमन्यु की चार साल पहले हुई भोपाल यात्रा थी। तब उसने एक-एक कर 10 खिलाड़ियों को हराया था। उसके दादाजी शतरंज में उसके टैलेंट से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने तभी भविष्यवाणी कर दी थी। अभिमन्यु ने इतनी छोटी उम्र में उनकी बात को सच साबित कर दिया। चाचा प्रशांत मिश्रा बताते हैं कि पूरे परिवार को अभिमन्यु के वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाने का भरोसा था। 2017 में प्रशांत की पत्नी की मौत कैंसर से हुई थी। उसी में शामिल होने अभिमन्यु भोपाल आया था। चाची पूजा मिश्रा कहती हैं कि पूरा परिवार उससे मिलने का इंतजार कर रहा है। अभिमन्यु इस साल के अंत में भारत आ सकता है। उसे चेन्नई में एक टूर्नामेंट खेलना है। तब उसके भोपाल आने की उम्मीद है। परिवार के लोगों को उसके भोपाल आने का भी पूरा भरोसा है, लेकिन अभी उनकी निगाहें अगले महीने होने वाले वर्ल्ड कप पर टिकी हैं। और तब शायद इस परिवार के लोग अभिमन्यु के चलते अमेरिका की जीत पर एक-दूसरे को बधाई देते हुए दिखें।


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