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ना ना करते सिद्धू से मिलने को क्यों राजी हुए 'नाराज' राहुल, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू से काफी नाराज थे। उनकी नाराजगी कितनी गहरी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिद्धू को राहुल से मिलने के लिए प्रियंका का सहारा लेना पड़ा। पार्टी महासचिव और राहुल की बहन प्रियंका पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले सिद्धू के साथ खड़ा नहीं होतीं तो राहुल से उनका मिलना नामुमकिन था। सूत्रों की मानें तो राहुल को सिद्धू से मिलने को मनाने के लिए प्रियंका को काफी मशक्कत करनी पड़ी। प्रियंका ने ही मध्यस्थता कर सिद्धू को राहत का अहसास करवाया। प्रियंका ने राहुल को मनाया, तब हो पाई सिद्धू की मुलाकात न्यूज चैनल एनडीटीवी ने कांग्रेस के टॉप सूत्रों के हवाले से बताया कि पहले राहुल और सिद्धू की कोई मीटिंग शेड्यूल नहीं थी, लेकिन बाद में प्रियंका ने पहल की और राहुल को सिद्धू से मिलने के लिए मनाया। उसके बाद राहुल और सिद्धू न केवल मिले बल्कि दोनों में 45 मिनट तक बात हुई। सूत्र बताते हैं कि राहुल-सिद्धू के बीच चली इतनी लंबी मीटिंग को पंजाब कांग्रेस में सुलह की कोशिश के तौर पर लिया जाना चाहिए। इससे पहले, सिद्धू ने प्रियंका गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। सिद्धू से मिलकर प्रियंका सीधे राहुल और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने चली गईं। प्रियंका के अपने आवास पर लौटने तक सिद्धू वहीं इंतजार करते रहे। क्या शिकायतों के समाधान का निकला फॉर्म्युला? हालांकि, पहले प्रियंका और फिर राहुल के साथ हुई मीटिंग में सिद्धू की शिकायतों और मांगों के लिए कौन सा फॉर्म्युला निकाला गया, इसकी जानकारी अब भी सामने नहीं आ पाई है। वैसे सोनिया गांधी को समिति की रिपोर्ट मिल चुकी है जिसमें संभवतः को सुलझाने का फॉर्म्युला सुझाया गया है। अब सारे पत्ते कांग्रेस अध्यक्ष के हाथ में हैं। क्या सिद्धू-कैप्टन, दोनों मान लेंगे हाई कमान की बात बहराल, कहा यह जा रहा है कि राहुल गांधी से मुलाकात का मतलब ही है कि सिद्धू हाई कमान के किसी भी संभावित फैसले को मानने का मन बना चुके हैं। लेकिन, देखना यह भी होगा कि क्या कैप्टन अमरिंदर हाई कमान के हर फैसले को मानेंगे? सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव करीब आने के कारण कैप्टन खुद भी सिद्धू के साथ जारी संघर्ष को बढ़ाना नहीं चाहते हैं। उधर, सिद्धू को पता है कि प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर प्रभावी नेता उन्हें कैप्टन का विकल्प मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में सिद्धू को हाई कमान का ऑर्डर मानने के सिवा कोई चारा नहीं दिख रहा है। दिल्ली दरबार बुलाए जा सकते हैं कैप्टन वैसे, यह सामने आना अब भी बाकी है कि पार्टी हाई कमान सिद्धू को मनाने में सफल हुआ भी या नहीं। इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि भले ही राहुल, प्रियंका से सिद्धू की मुलाकात हो गई हो, लेकिन संकट इतनी जल्दी सुलझने वाला नहीं है। अगर सिद्धू अब भी नहीं माने तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खामियाजा भुगतने से कोई नहीं बचा सकता है। संभवना यह भी जताई जा रही है कि सिद्धू की मुलाकात के बाद कैप्टन को भी सोनिया-राहुल से मिलने का न्योता भेजा जा सकता है। पिछले हफ्ते कैप्टन दिल्ली आए तो थे, लेकिन उनकी सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई थी। सूत्रों की मानें तो जो भी हो, पंजाब संकट पर आखिरी फैसला इसी सप्ताह ले लिया जाएगा।


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