डोभाल-जयशंकर मिशन पर, विपक्ष एकजुट, तालिबान पर क्या है भारत का 'प्लान B'?
नई दिल्ली
अफगानिस्तान में हुकूमत बदल गई है। एशिया के जियोपॉलिटिकल लैंडस्केप पर इसका असर दिखने लगा है। चीन ने अपनी चाल चल दी है, रूस और पाकिस्तान भी पर्दे के पीछे से अपने पासे फेंक रहे हैं। तालिबान के साथ भारत की भी बैकडोर बातचीत जारी है मगर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि सूत्र इशारा करते हैं कि रुख में नरमी रखते हुए भारत ने सभी विकल्प खुले रखने के संकेत दिए हैं। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वरिष्ठ सहयोगियों संग अफगानिस्तान मसले पर बैठक की है। अफगानिस्तान के मसले पर दिल्ली में गुरुवार को सर्वदलीय बैठक हो रही है जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रीफ किया। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की ओर से एक प्रजेंटेशन भी दिया जाएगा।
जयशंकर ने दी अपडेट, कांग्रेस बोली- हम सरकार के साथ
विभिन्न राजनीतिक दलों के फ्लोर नेताओं को अफगानिस्तान में जारी बचाव अभियान पर ताजा जानकारी दी गई। कितने भारतीयों को कैसे और कब-कब वापस लाया गया, अभी कितनों को वापस लाना बाकी है, कितने अफगान नागरिक बचाकर लाए गए हैं, अल्पसंख्यक समुदाय के कितने लोग हैं, तालिबान के साथ बातचीत कैसे होगी और अफगानिस्तान में भारतीय निवेश की सुरक्षा समेत कई पॉइंट्स पर नेताओं को अपडेट किया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बैठक से पहले कहा कि 'देशहित के मामलों में हम सरकार के हर फैसले के साथ हैं।' सर्वदलीय बैठक में सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों के अलावा विदेश राज्य मंत्री और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए।
भारत के रुख में नरमी के संकेत
सूत्रों के अनुसार भारत तालिबान सहित तमाम पक्षों से संपर्क साधने से नहीं हिचकेगा अगर इसमें देशहित का समझौता नहीं हो। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पिछले दस दिनों के अंदर घटनाक्रम में जिस तेजी से उतार-चढ़ाव हुआ है उससे भारत ने लचीला रुख अपनाया है। सूत्रों के अनुसार भारत ने अपने रुख में नरमी तब लाई जब विश्व के तमाम ताकतवर देशों ने साफ शब्दों में कहा कि तालिबान को तभी मान्यता दी जाएगी जब वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार शासन करेगा। साथ मानवाधिकार की बात हो या महिलाओं के अधिकार, तालिबान अपने पुराने रुख में बदलाव करेगा और सुधार लाएगा।
भारत के पास है कोई प्लान B?
अगर तालिबान के साथ सीधे-सीधे बातचीत नहीं होती तो बैकडोर डिप्लोमेसी का रास्ता खुला हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पिछले दो हफ्तों में खासे सक्रिय रहे हैं। उन्होने BRICS देशों में अपने समकक्षों के साथ अफगानिस्तान पर बात की है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन के साथ भी डोभाल की बातचीत हो चुकी है। पिछले हफ्ते हुए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की बैठक में डोभाल ने अपना इनपुट सामने रखा था।
बदला नहीं तालिबान, इमरजेंसी प्लान तैयार है: CDS
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि तालिबान बीते 20 साल में भी नहीं बदला है और सिर्फ उसके सहयोगी बदले हैं। उन्होंने कहा, ‘यह काफी कुछ वैसा ही है। यह वही तालिबान है जो 20 साल पहले था। खबरों और वहां से आए लोगों से मिल रही जानकारियां हमें वही बता रही हैं जो तालिबान करता रहा है। अगर कुछ बदला है तो वे हैं उसके साझेदार। यह वही तालिबान है दूसरे सहयोगियों के साथ।’ सीडीएस का इशारा लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों के सहयोग पर था। जनरल रावत ने कहा कि अफगानिस्तान से पैदा होने वाली आतंकी गतिविधियों के भारत पर पड़ने वाले असर को लेकर हम चिंतित हैं। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए इमरजेंसी योजनाएं तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘उस लिहाज से हमारी आकस्मिक योजनाएं चल रही हैं और हम उसके लिए तैयार हैं। हां, जिस तेजी से वहां सबकुछ घटित हुआ, उसने हमें चौंकाया है।’
भारत क्षेत्र का अहम हिस्सा, बनाना चाहते हैं अच्छे संबंध: तालिबान
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने भारत को इलाके का एक अहम मुल्क करार देते हुए अच्छे रिश्ते बनाने की इच्छा जताई है। पाकिस्तानी टीवी चैनल एआरवाई को दिए साक्षात्कार में कहा, 'हम सभी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं। इसमें भारत भी शामिल है जो इस इलाके का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारी इच्छा है कि भारत अफगान जनता की राय के मुताबिक अपनी नीतियां बनाए। हम अपनी सरजमीं को किसी मुल्क के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देंगे। भारत और पाकिस्तान को चाहिए वे अपने द्विपक्षीय मामले सुलझाएं।'
तालिबान को परखना चाहती है दुनिया
जी-7 देशों ने भी एक दिन पहले संकेत दिया कि तालिबान शासन को शर्तों और अपेक्षाओं के आधार पर ही परखेगा और अगर वह नहीं सुधरा तो उसके खिलाफ कार्रवाई से भी नहीं हिचकेगा। इसके अलावा भारत ने भी दूसरे देशों को यह समझाने में सफलता पाई कि तालिबान का उपयोग पाकिस्तान आतंक के नए ठिकाने के लिए नहीं करे। इसके लिए उसे दो टूक शब्दों में बताने की जरूरत है। इसके बाद भारत के सामने भी वैश्विक समुदाय के अनुरूप आगे बढ़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं बचा था। साथ ही मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच लंबी बातचीत हुई थी। पूतिन ने भी माना कि अफगानिस्तान के मामले में भारत के रुख को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
चीन ने तालिबान के साथ की पहली बैठक
चीन और तालिबान के बीच पहला कूटनीतिक संपर्क हो गया है। काबुल में तालिबान के उप प्रमुख अब्दुल सलाम हनाफी और चीनी राजदूत वांग यू के बीच बातचीत हुई है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन और अफगान तालिबान के बीच बेरोक-टोक एक मजबूत कम्युनिकेशन हुआ है। हम अफगानिस्तान को मदद जारी रखेंगे। प्रवक्ता ने कहा, ‘निश्चित तौर से काबुल हमारे लिए एक अहम प्लेटफॉर्म और चैनल है जिससे हम अहम मुद्दे पर बातचीत करते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘चीन, अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्र फैसले का स्वागत करता है। यह फैसला उन लोगों ने अपने भविष्य और किस्मत को लेकर किया है।’
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