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बाढ़ राहत के नाम पर नजरपुर के लोगों को मिले फटे-पुराने कपड़े, सांसद ने अपने हाथों से दिए, 'भद्दे मजाक' पर कांग्रेस का वार


ग्वालियर
बाढ़ () में अपना सब कुछ गंवा चुके लोगों के साथ प्रशासन ने मदद के नाम पर धोखा कर दिया। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भितरवार के नजरपुर () गांव में प्रशासन ने () के हाथों से राहत सामग्री बंटवाई, लेकिन ग्रामीणों ने घर जाकर देखा तो उसमें फटे-पुराने कपड़े मिले। इससे आहत ग्रामीणों ने राहत सामग्री तो लौटा ही दी, प्रशासन से उनका मजाक नहीं उड़ाने की प्रार्थना भी की है। कांग्रेस पार्टी ने भी इसके लिए बीजेपी पर निशाना साधा है। तीन दिन पहले सांसद के हाथ से नजरपुर गांव के बाढ़ पीड़ितों को कुछ सामान बंटवया गया था। सामान में कपड़े, जूते और चप्पल थे। गांव वालों ने जब घर जाकर राहत का सामान देखा तो उनकी आंखें भर आईं। राहत सामग्री के नाम पर उन्हें फटे-पुराने कपड़े मिले थे। दुखी ग्रामीणों ने शुक्रवार को यह सामग्री एसडीएम ऑफिस में वापस लौटा दिए। कपड़े लौटाने आए बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि वे कोई भिखारी नहीं हैं। बाढ़ में उनका घर और मेहनत की पूरी कमाई उजड़ गई। सरकार अगर मदद नहीं कर सकती तो ना करे, लेकिन फटे-पुराने कपड़े देकर हमारा मजाक न उड़ाया जाए । ग्वालियर चंबल में आई बाढ़ (Flood in Gwalior-Chambal) के कारण लोगों के मकान टूट गए हैं। उनके घर में रखा राशन और घर का पूरा सामान, कपड़े सब बह चुके हैं। कई घरों में पहनने के लिए कपड़े तक नहीं बचे। 24 अगस्त को ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (MP Vivek Shejwalkar) ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर नजरपुर के लोगों को कपड़े और जूते-चप्पल बांटे थे। राहत का सामान बांटते हुए उनकी तस्वीरें भी सामने आई थीं। बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि गठरी में जितने भी कपड़े और जूते थे, सब जीर्ण-शीर्ण हालत में थे। यह देखकर गांव वाले आक्रोशित हो गए। वे शुक्रवार दोपहर में भितरवार के एसडीएम के दफ्तर पहुंचे राहत सामग्री लौटा दी। प्रशासन के रवैये के विरोध में उन्होंने हंगामा भी किया। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मामला सामने आने के बाद बीजेपी पर निशाना साधा है। पार्टी ने इसे बाढ़ पीड़ितों के साथ भद्दा मज़ाक बताया है।


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