Bhopal Arts And Culture News: बुंदेली लोकगीतों और जनजातीय नृत्य की मनभावन प्रस्तुतियों ने बांधा समां

Bhopal Arts And Culture News: बुंदेली लोकगीतों और जनजातीय नृत्य की मनभावन प्रस्तुतियों ने बांधा समां
Bhopal Arts And Culture News: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। मप्र शासन के संस्कृति विभाग की बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र गमक श्रृंखला के अंतर्गत मंगलवार शाम जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की ओर से सागर के देवीसिंह ठाकुर और साथियों द्वारा बुंदेली स्वराज गायन एवं डिंडोरी की हास्यकुमारी मरावी और साथियों द्वारा गोंड जनजातीय नृत्य करमा और सैला की प्रस्तुति दी गई। इन प्रस्तुतियों को ऑनलाइन दर्शकों की भरपूर सराहना मिलीकार्यक्रम की शुरुआत देवीसिंह ठाकुर और साथियों द्वारा बुंदेली स्वराज गायन की प्रस्तुतियों से हुई। उन्होंने भारत की अजब बहार हो, मोरो देश है सुहानो..., जाग उठा भारत, फिर कमल नयन खोले..., अंधेरा दिखता चारों ओर, तुम्हे अब लाना होगी भोर...,धन्य धरा भारत, जनम भओ हमारो, जनम भओ तुम्हारो... और युग-युग से भारत शक्ति महान, बुंदेली माटी है भारत की शान... जैसे देशभक्ति के गीत प्रस्तुत करते हुए ऑनलाइन श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। उनकी इस प्रस्तुति में हारमोनियम पर कृष्ण कुमार कटारे, ढोलक पर मनीष सेन, तबले पर रवि टांक, बेंजो पर मनोज एवं जींका पर प्रकाश पटेल ने संगत की।
अगली प्रस्तुति हास्यकुमारी मरावी और साथियों द्वारा गोंड जनजातीय नृत्य करमा और सैला की दी गई। कर्म की प्रेरणा देने वाला करमा एक श्रृंगारिक नृत्य है। इसी प्रकार सवा हाथ का डंडा हाथ में लेकर नृत्य करने के कारण इसका नाम सैला पड़ा। गोंड जनजाति का दशहरा के बाद शरद चांदनी की रात में सैला रीना नृत्य गीत के साथ सम्पन्न होता है
और दीपावली के दिन गांव में सामूहिक रूप से एकत्र हो कर सैला रीना नृत्य गान करते हैं। इसमें कभी किसी दूसरे गांव के प्रमुख व्यक्ति के विशेष आमंत्रण पर गांव के महिला एवं पुरुष सज-धज कर अपनी सांस्कृतिक टोली लेकर एक गांव से दूसरे गांव में जा कर सैला-रीना नृत्य गीत करते हैं।
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