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क्या तालिबान आतंकी संगठन है? क्या भारत मान्यता देगा? जानें क्या बोला विदेश मंत्रालय


नई दिल्‍ली
क्या तालिबान आतंकी संगठन है? क्या भारत उसे मान्यता देगा? तालिबान को लेकर भारत का स्‍टैंड क्‍या है? ऐसे कई बड़े सवालों का जवाब गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने दिया। मंत्रालय ने कहा कि भारत का तत्काल जोर यह सुनिश्चित करने पर है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा कि तालिबान को मान्यता देने की किसी संभावना के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी। ने साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा, 'हमारा ध्यान इस पर नहीं है। हमारा ध्यान इस बात पर है कि अफगान धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और किसी भी तरह के आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।' तालिबान के साथ भारत के संवाद और क्या वह आतंकवादी संगठन नहीं है, इस बारे में पूछे जाने पर बागची ने यह टिप्पणी की। 
बागची से सवालों की झड़ी
कतर में भारतीय दूत और एक वरिष्ठ तालिबान नेता की दोहा में मुलाकात के दो दिन बाद बागची को कई सवालों का सामना करना पड़ा। उनसे सवाल किया गया कि भारत दोहा बैठक की पृष्ठभूमि में तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए तैयार है। इसके साथ ही तालिबान के साथ संवाद को लेकर भारत की भविष्य की योजना को लेकर भी सवाल किए गए। बागची ने कहा कि इस बारे में कोई बात करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, 'दोहा बैठक को हम वही माने, जिसके लिए यह थी, यह सिर्फ एक बैठक थी। मुझे लगता है कि ये अभी काफी शुरुआती दिन हैं।' बागची बोले कि भारत ने दोहा बैठक का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र के संभावित उपयोग को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और बाकी भारतीयों को अफगानिस्तान से वापस लाने के संबंध में किया। हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। 
क्‍या तालिबान के साथ और बैठकें होंगी?
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि कतर में भारतीय दूत दीपक मित्तल ने तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से समूह के अनुरोध पर दोहा में मुलाकात की। यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान के साथ भारत और बैठकें करेगा? बागची ने कहा कि वह अटकलें नहीं लगाना चाहते और उस सबंध में साझा करने के लिए उनके पास कोई नई जानकारी (अपडेट) नहीं है। तालिबान के साथ संवाद के संभावित खाके के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा, 'यह हां या न का सवाल नहीं है। हम बिना सोचे-समझे कुछ भी नहीं करते।' उन्होंने कहा, 'हमारी तात्कालिक प्राथमिक चिंता यह है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों और भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए। हमारा ध्यान इस पर है। देखते हैं, आगे क्या होता है।' काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की खबर और क्या भारत को नई सरकार बनने के मौके पर आमंत्रित किया गया है, यह पूछे जाने पर बागची ने कहा, 'मेरे पास दोनों में से किसी भी मुद्दे पर कोई अपडेट नहीं है... मेरे पास अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार की प्रकृति के बारे में कोई ब्योरा नहीं है जिसे मैं आपके साथ साझा कर सकूं।'
  बैठक की तस्‍वीरें नहीं हुईं जारी
तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित विभिन्न आतंकी समूहों की गतिविधियों में इजाफे की आशंका को लेकर भारत में चिंताएं बढ़ रही हैं। दोहा बैठक पर तालिबान के टिप्पणी नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि यह उस संगठन पर निर्भर है। यह पूछे जाने पर कि बैठक की कोई तस्वीर क्यों नहीं थी या क्या तालिबान ऐसा नहीं चाहता था, उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ एक बैठक थी। यह वास्तव में उस तरह का कोई आयोजन नहीं था जहां तस्वीरें खींची जाती हैं। मुझे नहीं लगता कि इसके पीछ कोई विचार है..।' यह पूछने पर कि तालिबान ने दोहा बैठक का अनुरोध क्यों किया, बागची ने कहा कि उन्हें लगता है कि समूह उन सभी देशों से संपर्क करना चाहता है जिनकी अफगानिस्तान में दिलचस्पी और प्रासंगिकता है। अफगानिस्तान से शेष भारतीयों को वापस लाने के बारे में उन्होंने कहा कि काबुल हवाई अड्डे के संचालन के फिर से शुरू होने के बाद भारत मामले पर फिर से विचार कर सकेगा।
  नागरिकों को निकालने पर प्राथमिकता
उन्होंने कहा, 'हम अपने नागरिकों के साथ-साथ कुछ अफगान नागरिकों को भी निकालने को प्राथमिकता दे रहे हैं। अभी काबुल हवाई अड्डा चालू नहीं है। मुझे लगता है कि काबुल हवाई अड्डे पर परिचालन दोबारा शुरू होने के बाद हम इस मुद्दे पर फिर से विचार कर सकेंगे।' अफगान नागरिकों को 16-अगस्त से जारी किए ई-वीजा की संख्या के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि इसका आंकड़ा गृह मंत्रालय के पास है क्योंकि इस मामले को वही देखता है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अफगान नागरिकों के किसी लिए शरणार्थी नीति पर काम कर रहा है, उन्होंने कहा कि यह मामला गृह मंत्रालय के तहत आता है। उन्होंने कहा कि भारत सदैव अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा चाहता है।


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