Top Story

Chhindwara News: गोटमार मेले से लव स्टोरी का क्या है कनेक्शन, लाख कोशिशों के बावजूद क्यों नहीं रुकती पत्थरबाजी, इस बार किसकी हुई जीत...जानिए सब कुछ

छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश के पांढुर्णा में गोटमार मेले पर कोरोना गाइडलाइन की बंदिशों और प्रशासन की रोक के बावजूद मंगलवार को गोटमार खेल स्थल पर पत्थरबाजी हुई। सुबह 6 बजे ही सावरगांव और पांढुर्णा पक्ष के लोगों ने मां चण्डी की पूजा के बाद नदी में झंडा लगाया। इसके तुरंत बाद दोनों तरफ से लोगों ने पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। शाम 5 बजे तक 400 से ज्यादा लोग इस पत्थरबाजी में घायल हो गए, जिनका इलाज किया जा रहा है। वहीं 43 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया है। गोटमार मेले में हर साल पत्थरबाजी के चलते इस पर रोक लगाने की मांग होती है, लेकिन स्थानीय लोग इसके लिए राजी नहीं होते। पत्थरबाजी के मुकाबले में जीत को वे गांव की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखते हैं। गांव वाले इसके लिए कई सप्ताह पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं। क्यों होता है गोटमार मेला गोटमार मेले का इतिहास 300 साल पुराना है। जाम नदी के दोनों ओर के लोगों के बीच खेले जाने वाले इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी जुडी हुई है। पांढुर्णा का एक लड़का नदी के दूसरे छोर पर बसे गांव की एक लड़की से प्यार करता था। उनकी इस प्रेम कहानी पर दोनों गांवों के लोगों को एतराज था। एक दिन सभी के विरोध को झेलते हुए लड़का लड़की को गांव से भगाकर ले गया। अभी दोनों ने आधी नदी तक का ही सफर किया था कि दोनों ओर के ग्रामीणों को इसकी सूचना मिल गई। नदी के दोनों किनारों पर दोनों गांवों के लोग जमा हो गए और प्रेमी जोड़े पर दोनों तरफ से पत्थरों की बरसात होने लगी। इस पथराव में नदी के मझधार में ही दोनों की मौत हो गई थी। मेला खत्म होने के बाद भी पत्थरबाजी जारी गोटमार मेले में इस बार पांढुर्णा के पक्ष के लोगों ने 4 बजे के करीब पर यहां लगे झंडे में कुल्हाड़ी मारकर अपनी जीत दर्ज करा ली, लेकिन झंडा नहीं तोड़ पाए। बाद में 5 बजे बारिश के आते ही प्रशासन ने शांति समिति के सदस्यों के साथ ट्रैक्टर के सहारे रस्सी से खींचकर झंडे को तोड़ा और चंडी माता मंदिर में पूजा के साथ ही गोटमार मेला समाप्त करने की घोषणा की गई। इसके बावजूद रात में भी दोनों पक्षों से पत्थरबाजी होती रही। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर पथराव किया जा रहा था। प्रशासन की रोक भी बेअसर जिला प्रशासन ने इस बार खूनी खेल को रोकने के लिए धारा 144 के अलावा कोविड को भी हथियार बनाया था। पांढुर्णा नगर में 6 सितंबर की सुबह 8 बजे से 8 सितंबर को सुबह 8 बजे तक के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए थे। सुरक्षा के लिए पांढुर्णा में 10 डीएसपी, 18 निरीक्षक, 400 से ज्यादा पुलिसकर्मी और एसएएफ की दो टुकड़ी भी तैनात की गई थी।


from Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश न्यूज़, Madhya Pradesh Samachar, मध्य प्रदेश समाचार, Madhya Pradesh Ki Taza Khabar, मध्य प्रदेश की ताजा खबरें, MP News | Navbharat Times https://ift.tt/3BPSPAP
via IFTTT