Top Story

Coin Exhibition in Bhopal: उज्‍जयिनी में हुई थी प्राचीन मुद्राओं पर समयांकन की शुरुआत

 

Coin Exhibition in Bhopal: उज्‍जयिनी में हुई थी प्राचीन मुद्राओं पर समयांकन की शुरुआत


Coin Exhibition in Bhopal:  भारत के सांस्कृतिक इतिहास में मुद्रा का विशेष स्थान है। जिन क्षेत्रों में जो धातु मिलती थी, वहां उसी धातु को सिक्कों के रूप में प्रयोग में लाया गया। सबसे पहले उज्‍जयिनी (उज्‍जैन) के शासकों ने मुद्रा पर तिथि का अंकन करना शुरू किया। यह जानकारी राज्य संग्रहालय में चल रही प्राचीन दुर्लभ सिक्कों की प्रदर्शनी में सामने आई है। बुधवार को प्रदर्शनी का अंतिम दिन है।

'सिक्कों की विरासत" नामक प्रदर्शनी में सिक्कों का संग्रह अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर उज्जैन के डॉ. आरसी ठाकुर लेकर आए हैं। प्राचीन काल में धातु के सिक्कों पर सम्मानित व्यक्तियों की मुहर लगा दी जाती थी, ताकि लोगों को यह विश्वास रहे कि उस सिक्के की धातु शुद्ध व उसका वजन सही है। पुरातत्वविद भारत में सिक्कों का चलन ईसा पूर्व 800 के लगभग मानते हैं।

अत्यंत छोटे सिक्के : अत्यंत छोटे सिक्कों का उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी आता है। भारत की प्राचीन तौल प्रणाली के अनुसार इस मुद्रा पर कई चित्र बने हुए हैं। मानव आकृति, पशु, पक्षी, नदी, कुंड, कछुए, मेंढ़ आदि अंकित हैं। उज्जैन के क्षिप्राचंल में भारी संख्या में यह सिक्के प्राप्त होते हैं। इन सिक्कों का आकार दाल के दानों के बराबर है। यह तांबा व चांदी दोनों धातुओं पर मिलते थे। हैरत की बात यह है कि प्राचीन काल में इतने छोटे सिक्कों पर चित्र कैसे अंकित किए गए होंगे।

शाहजहां की टकसाल थी उज्जैन में

शाहजहां के सिक्कों की टकसाल उज्जैन में थी। सिक्कों के अग्रभाग में कलमा एवं पृष्ठ भाग (पीछे) बादशाह का नाम व उपाधि अंकित रहती थी। हिजरी संवत 1039-40 में उज्जैन की मुद्राएं ढाली गईं। शाहजहां मुगल सम्राट (1628 से 1658) की स्वर्ण मुद्रा का वजन 11 ग्राम है और यह गोल आकार की है।


from Nai Dunia Hindi News - madhya-pradesh : bhopal https://ift.tt/2W1Gf2f