Daughters Day 2021: जागृति के पिता ने कहा, बिटिया ने कर दिया नाम रोशन, खानदान की पहली ल.डकी बनेगी आइएएस
Daughters Day 2021: कहते हैं कि बेटा खानदान का चिराग होता है, लेकिन मेरी बेटी ने मेरे खानदान का नाम रौशन कर दिया। वह खानदान की पहली ल.डकी है जो आइएएस बनेगी। यह भाव संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) की परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल करने वाली भोपाल की जागृति अवस्थी के पिता डाक्टर सुरेश चंद अवस्थी ने व्यक्त किए। उन्होंने बेटी की सफलता पर कहा कि उसकी अपनी मेहनत रंग लाई। डॉटर्स डे पर अपनी बेटी के लिए भाव व्यक्त करते हुए डॉ अवस्थी ने कहा कि बेटा नाम नहीं चलाता है, बल्कि नाम कटवाता है। जैसे ही पिता की मृत्यु होती है, वैसे ही वसीयत पर से पिता का नाम कटवाकर अपना नाम लिखवाने लगते हैं।
मैनें कभी भी बेटा और बेटी में फर्क नहीं किया और लोेगों को भी नहीं करना चाहिए। एक पिता होने के नाते बेटी के हर निर्णय में उसका साथ दिया। मेरा सपना था कि मेरी बेटी डाक्टर बने, लेकिन उसे शुरू से पसंद नहीं था। उसने गणित लेकर प.ढाई की और इंजीनियर बनी। मैंने कभी भी बच्चों पर खुद के पसंद के करियर को चुनने का दबाव नहीं डाला, बल्कि उनके निर्णय पर अपनी सहमति दी। डॉ अवस्थी ने कहा कि भेल में बिटिया क्लास-वन पद पर थी, लेकिन 12जून 2017 की रात उसने कहा कि उसे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करनी है और नौकरी छो.डना चाहती है तो मैनें उसे हां कर दिया, क्योंकि मुझे उसके फैसले और मेहनत पर भरोसा था। --खानदान में महिलाएं शिक्षक हैं डाक्टर अवस्थी ने बताया कि मेरे खानदान में कई महिलाएं शिक्षक है। जागृति की मौसी व बुआ शिक्षक हैं,
लेकिन आइएएस अधिकारी पहली है। यहां तक की उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले के नसेनिया गांव की भी पहली बेटी है जो आइएएस बनी है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव में आज भी बेटियों की प.ढाई पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। --19 साल तक नौकरी करने के बाद छो.ड दी वहीं मां मधुलता अवस्थी ने बताया कि मैनें कभी भी बेटी और बेटा में फर्क नहीं किया। मेरी पहली नौकरी 1998 में छत्तरपुर के महर्षि विद्या मंदिर में शारीरिक शिक्षक बनी। इसके बाद भोपाल के महर्षि विद्या मंदिर में खेल शिक्षक बनी।
19 साल बाद 2016 में नौकरी छो.ड दी और बच्चों की देखरेख और प.ढाई पर फोकस किया। यहां तक कि मैं भाला फेंक, कबड्डी, डिस्कस थ्रो की राष्ट्रीय खिला.डी रही हूं, लेकिन फिर बच्चों के लिए सबकुछ छो.ड दिया। बच्चों की प.ढाई के लिए इंटरनेट मीडिया और टीवी से भी दूरी बनाई। रिश्तेदारों से मिलना-जुलना और विशेष आयोजनाे में जाना भी बंद कर दिया। मेरी बेटी ने मेरे सभी त्याग को खुशियों में बदल दिया।
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