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Drought in Bundelkhand: बुंदेलखंड को मॉनसून ने दिया धोखा, सूख रही फसलों को ट्रैक्टर से नष्ट कर रहे किसान


दमोह 
मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल क्षेत्र जहां बाढ़ का कहर झेल रहा है, वहीं बुंदेलखंड इलाके में किसानों को सूखे की चिंता सता रही है। इस इलाके के दमोह और पन्ना जैसे जिलों में मॉनसून से होने वाली बारिश () इतनी कम हुई है कि खेतों में लगी फसलें सूखने लगी हैं और किसान उन्हें नष्ट () करने को मजबूर हैं। पूरे मध्य प्रदेश में अब तक मॉनसून () से होने वाली बारिश अनुमान से 7 फीसदी कम हुई है। सबसे कम बारिश दमोह और पन्ना में ही हुई है। दमोह में अनुमान से 48 फीसदी और पन्ना में 41 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। इन दोनों जिलों में खेतों में फसलें सूख रही हैं और किसान खुद ही उन्हें नष्ट कर रहे हैं। मॉनसून के सीजन में इस समय खेतों में इस समय पर फसलें लहलहा रही होती हैं और चारों ओर हरियाली होती है, लेकिन दमोह और पन्ना के सैकड़ों एकड़ खेतों में नजारा इसके ठीक उलट है। पानी की कमी से फसलें काली पड़ रही हैं। कई किसान खराब हो रही फसलों को नष्ट कर चुके हैं या इसकी तैयारी में हैं। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए दमोग के तेंदूखेड़ा इलाके के किसान रामदीन ने बताया कि वे अगली फसल के लिए तैयारियों में लगे हैं। किसान ने बताया कि वे खेत में सब्जियां उगाने की सोच रहे हैं, लेकिन बारिश की हालत को देखते हुए कुछ तय नहीं कर पा रहे। उन्हें इस बात की चिंता भी सता रही है कि फसल खराब होने से हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी। कम बारिश के चलते इस इलाके की दो प्रमुख नदियों- व्यरमा और गुराया में दो फीट से भी कम पानी बचा है। छतरपुर जिले की हालत भी कुछ अलग नहीं है। यहां भी अनुमान से 31 फीसदी कम बारिश हुई है और किसानों की फसलें खराब हो रही हैं।


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