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Indore Jitendra Yadav Column: कथा का मर्म या राजनीति का सहकारिता धर्म


Indore Jitendra Yadav Column: रविवार को प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया अचानक इंदौर आए थे।


Indore Jitendra Yadav Column:  राजनीति में गहरी मित्रता टूटने के उदाहरण भी हैं तो मित्रता के कारण राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को तिलांजलि देने की बानगियां भी हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति में भी ऐसे कुछ नए और पुराने उदाहरण मौजूद हैं, पर इसमें वक्त जाया न करते हुए ताजा बात पर आते हैं। इसके मायने भी आप ही निकालते रहिए, हम तो केवल आपको बता देते हैं। दरअसल, रविवार को प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया अचानक इंदौर आए।


 वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय द्वारा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित भागवत कथा के समापन में शामिल होने आए थे। भागवत कथा की आरती में शामिल होकर तुरंत भोपाल भी रवाना हो गए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मंत्री भदौरिया वाकई भागवत कथा का मर्म समझने आए थे या विजयवर्गीय से मित्रता के वशीभूत राजनीति का सहकारिता धर्म निभाने आए थे।


राजनीति के शिक्षक बनाम शिक्षकों की राजनी‍ति

इंदौर के चुनिंदा शिक्षकों ने ही राजनीति शास्त्र पढ़ा होगा या पढ़ाते होंगे, लेकिन राजनीति करने में कई शिक्षक अच्छे-अच्छे राजनेताओं को भी मात दे सकते हैं। शासन ने हाल ही में जिले में कई शिक्षकों के तबादले किए हैं। इनमें कई शिक्षक किसी न किसी राजनेता, मंत्री का दामन थामकर मनचाही जगह तबादला कराने में सफल तो हो गए, लेकिन अब उस जगह जॉइन करने में मुश्किल हो रही है। क्योंकि उस स्कूल में पद ही खाली नहीं है।


 जिले के बाहर के कुछ शिक्षकों ने इंदौर आने के लिए खूब जुगाड़ लगाई तो कुछ ने ग्रामीण क्षेत्र से शहर में आने के लिए पापड़ बेले। इस कवायद में कुछ सीधे-सादे और बिना राजनीतिक पहुंच वाले शिक्षकों को खो करके गांव भी भिजवा दिया। इस उठापटक में ऐसे शिक्षकों ने नेताओं के कान भी खूब भरे कि फलां शिक्षक, फलां पार्टी का काम करता है।


ऐसे भूमाफिया पर कौन करेगा कार्रवाई

जिला प्रशासन ने शहर की कुछ चुनिंदा सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं में कार्रवाई का अभियान हाथ में ले रखा है। इन संस्थाओं में पीड़ित सदस्यों को उनके भूखंड दिलाने के लिए कमर कसी हुई है, लेकिन उन पीड़ितों से आंखें फेर रखी हैं जिनका हक निजी कालोनाइजर और बिल्डर खाकर बैठे हैं। ऐसे भूमाफिया के खिलाफ प्रशासन के पास लंबे समय से शिकायतें पड़ी हैं, लेकिन अब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है।


 बेटमा खुर्द और माचल में टीडीएस इंफ्रा और फीनिक्स इंफ्रा कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार हों या सिमरोल और महू क्षेत्र में अरविंद वंजारी की ग्रीनलैंड शेल्टर्स कंपनी से पीड़ित भूखंडधारक, सबके करोड़ों रुपये फंसे हैं। प्रशासन के अधिकारी शिकायतकर्ताओं को टरकाकर रेरा में भेज देते हैं, जबकि रेरा कार्रवाई के लिए खुद प्रशासन को आदेश कर रहा है। सब अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं तो आखिर कार्रवाई कौन करेगा और पीड़ितों को न्याय कौन दिलाएगा?



सहस्त्रबाहु' अफसर, भोपाल से ग्वालियर तक फैली भुजाएं

मेहरबानी हो तो ऐसी, जैसी सहकारिता विभाग के भोपाल मुख्यालय के एक अफसर पर इन दिनों उनके आला अधिकारियों ने की है। इस मेहरबानी का नतीजा यह है कि मूछों वाले यह अफसर सहस्त्रबाहु अफसर बन गए हैं। अरे...! आप इसे मजाक मत समझिए। इन अफसर को भोपाल से लेकर मुरैना और ग्वालियर तक इतने सारे प्रभार दिए गए हैं कि लगता है वे अपनी सहस्त्र भुजाओं से इसे टहलते हुए संभाल लेंगे।


 लीजिए गिनिए- मुख्यालय पर साख संस्थाओं के प्रभारी, गृह निर्माण संस्थाओं के प्रभारी, आवास संघ के एमडी। और तो और भोपाल रहते हुए चंबल संभाग और ग्वालियर संभाग के संयुक्त आयुक्त अलग से। फिर सहकारिता मंत्री के यहां हर दिन धोक अतिरिक्त योग्यता। इसी के नाम पर इंदौर में भी वे धाक जमाते हैं। लगता है मुख्यालय पर इनके समकक्ष बाकी अधिकारी नाकारा ही होंगे। भगवान ऐसी मेहरबानी और काबिलियत सबको दे।


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