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Indore News: गांधी नगर क्षेत्र की कालोनियों को डमी बिल बनाकर बेचे सरकारी ट्रांसफार्मर




Indore News: केंद्र सरकार की इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आइपीडीएस) में भेजे गए केबल, ट्रांसफार्मर गांधी नगर क्षेत्र की कालोनियों को बेचने का खुलासा हुआ है। गांधी नगर क्षेत्र में नई विकसित हो रही कालोनी गोधा इस्टेट में आइपीडीएस योजना के ट्रांसफार्मर और केबल लगे हुए पाए गए हैं। इस कालोनी में अब तक मकान बनना भी शुरू नहीं हुए हैं। सरकारी माल को खपाने के लिए बकायदा बिजली उपकरण बेचने वाली डमी कंपनियों के नाम से बिल भी बनाए गए। इस पूरे रैकेट में सरकारी गोदामों से माल बाहर जाकर बिकने में बिजली कंपनी के इंजीनियर और निजी बिजली ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आ रही है। फर्जी बिलों के जरिए सरकारी माल को सप्लायर से खरीदना दिखाया जा रहा है।

सिम्बायसिस यूनिवर्सिटी के पास बनी गोधा इस्टेट में लगाए गई केबल पर आइपीडीएस योजना 2018 के साथ इंदौर की सील भी लगी है। इसी तरह ट्रांसफार्मर पर भी आइपीडीएस का उल्लेख है। स्पष्ट हो रहा है कि इंदौर से ही अधिकारियों ने सरकार की योजना में आए इस माल को निजी ठेकेदारों को बेच दिया। कालोनी के डेवलपर मनीष गोधा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कालोनी के इलैक्ट्रिफिकेशन के लिए बिजली कंपनी की शर्तों के अनुसार काम करवाया।


खंबे तो खुद खरीदे लेकिन केबल और ट्रांसफार्मर बिजली कंपनी द्वारा अधिकृत ठेकेदार हिमांशु बसानी ने खरीदा व कालोनी का पूरा काम उसी ने किया। बिजली कंपनी को बकायदा 5 प्रतिशत की सुपरविजन फीस दी गई है। मुझे नहीं पता कि आइपीडीएस का मटैरियल वहां कैसे लगाया गया। मामले में एडवोकेट अभिजीत पांडे ने प्रमुख सचिव उर्जा संजय दुबे को शिकायत की। शिकायत के बाद बिजली कंपनी के एमडी अमित तोमर को जांच के निर्देश दिए गए। हालांकि जांच अब तक शुरू नहीं हुई।


ईस्ट-वेस्ट को जांच से राहत

गोधा इस्टेट बिजली कंपनी के वेस्ट डिवीजन में आती है। बिजली कंपनी ने आइपीडीएस घोटाले की जांच साउथ डिवीजन में तो की लेकिन ईस्ट और वेस्ट डिवीजन को छोड़ दिया गया। नईदुनिया द्वारा घोटाले के खुलासे के बाद ईस्ट डिवीजन के मांगलिया क्षेत्र की कालोनी में तो लगाए गए खंबे रातों-रात उखड़वाने के लिए भी समय दिया गया। ईस्ट डिवीजन में पी-यू फोर मेें निजी बिल्डिंग पर आइपीडीएस ट्रांसफार्मर लगे मिले तो कंपनी ने उसे पुराना निर्माण बता कर घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की।


वेस्ट डिवीजन की गोधा इस्टेट में तो अब तक मकान भी नहीं बने हैं ऐसे में बिजली कंपनी अधिकारियों को बचाने का बहाना भी नहीं ढूंढ पा रही। वेस्ट डिवीजन मेें आइपीडीएस का ठेका मुंबई की कंपनी विक्रांत इंजीनियरिंग को दिया गया था। इस कंपनी का बिल भी पास कर दिए गए हैं। दूसरी गोधा इस्टेट में बिजली ढांचा खड़ा करने वाला ठेकेदार बिजली कंपनी के इंजीनियरों का करीबी बताया जा रहा है। ठेकेदार ट्रांसफार्मर दिल्ली से खरीदने की बात कहकर बिल होने की दलील दे रहा है। ऐसे में शक है कि सरकारी माल की अफरा-तफरी के लिए डमी कंपनियों के नाम से बिल भी बनाए गए।