
Jabalpur News : महालक्ष्मी का पूजन महिलाएं आज शाम को करेंगी। दोपहर के बाद पूजन का मुहूर्त शुरू होगा।
जबलपुर, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मंगलवार को सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन होगा। इस दिन मां लक्ष्मी के गज लक्ष्मी स्वरूप के व्रत और पूजन का विधान है। गज लक्ष्मी माता हाथी पर कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ उनकी सवारी गज (हाथी) का भी पूजन किया जाता है। इस दिन मिट्टी या चांदी के हाथी का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहेगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि इस साल महालक्ष्मी व्रत 14 सितंबर से शुरू हुए हैं और इसकी समाप्ति 28 सितंबर को होगी। महालक्ष्मी का व्रत सायं काल में किया जाता है, इसलिए 28 सितंबर मंगलवार को अष्टमी तिथि का प्रारंभ दिन में 2:38 बजे से होगा। अत: 28 सितंबर को ही महालक्ष्मी का व्रत करना चाहिए एवं अष्टमी तिथि का श्राद्ध 29 तारीख को एवं जीवित्पुत्रिका व्रत 29 तारीख को करना श्रेयस्कर रहेगा।
इस तरह करें महालक्ष्मी का पूजन : इस व्रत में सोलह तार का डोरा लेकर उसमें सोलह गांठ लगाई जाती है और हल्दी की गांठ घिसकर डोरे को पीला रंग दिया जाता है। डोरे को हाथ की कलाई में बांधा जाता है। यह व्रत आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है। व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाएं। उसमें लक्ष्मीजी की प्रतिमा रखें। प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। सोलह प्रकार से पूजा करें, रात में तारागणों को पृथ्वी के प्रति अर्घ्य दें और लक्ष्मी की प्रार्थना करें। उसके पश्चात हवन करें, उसमें खीर की आहुति दें, चंदन, ताल, पत्र, पुष्पमाला, अक्षत, दुर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल और विभिन्न प्रकार के फल नए सूप में सोलह-सोलह की संख्या में रखें, फिर दूसरे सूप से ढक दें और लक्ष्मीजी को समर्पित कर आरती करें।
महालक्ष्मी मंदिर पचमठा मंदिर अधारताल : अति प्राचीन श्री मां महालक्ष्मी शक्तिपीठ पचमठा मंदिर में 16 दिवसीय अष्ट महालक्ष्मी नारायण कुबेर जी का विशेष पूजन किया जा रहा है। इसमें 1008 श्री सूक्त लक्ष्मी सूक्त कनकधारा पुरुष सूक्त लक्ष्मी सहस्त्रनाम ललिता सहस्रनाम के पाठ व जप किया गया। महालक्ष्मी व्रत के शुभ अवसर पर हवन किया जाएगा। आचार्य कपिल कृष्ण ने सभी से धर्मलाभ लेने की अपील की है।
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