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MP Health News: अब होम्योपैथी में भी तैयार होंगे सुपर स्पेशलिस्ट, शुरू होगी फेलोशिप



  
MP Health News: अब होम्योपैथी में भी तैयार होंगे सुपर स्पेशलिस्ट, शुरू होगी फेलोशिप




देश में पहली बार भोपाल के होम्‍योपैथी कॉलेज में इसी साल से होगी शुरुआत! 20 विषयों में कराई जाएगी छह माह की फेलोशिप।

शशिकांत तिवारी, भोपाल। मध्य प्रदेश ही नहीं देशभर के लिए अच्छी खबर है। अब होम्योपैथी में भी मरीजों को एलोपैथी जैसा सुपर स्पेशियलिटी की तर्ज पर इलाज मिलेगा। सुपर स्पेशलिस्ट तैयार करने के लिए होम्योपैथी चिकित्सकों को छह महीने का फेलोशिप सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाएगा। देश में पहली बार भोपाल के सरकारी होम्योपैथी कालेज में फेलोशिप कोर्स इसी सत्र से शुरू होने जा रहा है। 20 विषयों में फेलोशिप कराई जाएगी। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने फेलोशिप पाठ्यक्रम को मंजूरी दी है। यह कोर्स पिछले साल शुरू करने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना की दस्तक की वजह से रोक दिया गया था।


कालेज के अधिकारियों ने बताया कि फेलोशिप के लिए न्यूनतम योग्यता बीएचएमएस (होम्योपैथी में स्नातक) डिग्री होगी। एमडी कर चुके डाक्टर भी इसमें दाखिला ले सकेंगे। दाखिले के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से कराया जाएगा। इसके लिए इसी महीने विज्ञापन जारी होने वाला है।

बता दें कि एलोपैथी में भी विभिन्न् विशेषज्ञता में अलग-अलग अवधि के फेलोशिप कोर्स होते हैं। हालांकि, एलोपैथी में सुपर स्पेशलिस्ट उन्हें कहा जाता है, जो पीजी के बाद तीन साल तक डीएम या एमसीएच की पढ़ाई करते हैं।

फेलोशिप शुरू होने से यह होगा फायदा

- होम्योपैथी कालेजों में विशेषज्ञ क्लीनिक शुरू किए जा सकेंगे।

- विशेष तरह की बीमारी का इलाज उसी विषय में पारंगत चिकित्सक करेंगे।

- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग में भी इस तरह की विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों का उपयोग किया जा सकेगा।

- होम्योपैथी अस्पतालों में खास तरह की बीमारियों के इलाज के लिए अलग से इकाई बनाई जा सकेगी। मसलन बुजुर्गों को होने वाली बीमारी की जांच व इलाज के लिए कुछ बिस्तर आरक्षित कर अलग यूनिट तैयार की जा सकती है।

इन विशेषज्ञता में होगी फेलोशिप

डायबिटीज मैनजेमेंट, ओबेसिटी (मोटोपा) मैनेजमेंट, जीरियाट्रिक केयर (बुजुर्ग की देखभाल), लाइफ स्टाइल डिसआर्डर, त्वचा रोग, पेट संबंधी बीमारी, नेत्र चिकित्सा, गैर संचारी रोग, संक्रामक रोग, अस्पताल प्रबंधन, स्त्री एवं प्रसूति रोग संबंधी बीमारियां, फार्माकोविजिलेंस यानी दवाओं के दुष्प्रभाव का अध्ययन, हृदय और फेफड़े संबंधी बीमारी, बुजुर्गों के लिए फिजियोथेरेपी, हड्डी संबंधी, योगा और नैचुरोपैथी, न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, होलिस्टिक केयर (संपूर्ण देखभाल)।

देश में पहली बार इस साल से होम्योपैथी में फेलोशिप शुरू की जा रही है। इसमें ऐसे विषयों को चुना गया है, जिनकी आज के समय में ज्यादा जरूरत है। इसका फायदा यह होगा कि होम्योपैथी में संबंधित बीमारियों के मरीजों को विशेषज्ञता के साथ इलाज किया जा सकेगा। मेरी जानकारी में दुनिया में कहीं भी इस तरह की फेलोशिप नहीं हो रही है।

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