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Municipal Corporation Indore: कुलकर्णी भट्टा पुल की बड़ी बाधा दूर, 140 लोगों को लाटरी से मिले फ्लैट



कुलकर्णी भट्टा पुल की बड़ी बाधा दूर, 140 लोगों को लाटरी से मिले फ्लैट

इंदौर,  यातायात के लिहाज से महत्वपूर्ण निर्माणधीन कुलकर्णी भट्टा पुल शुरू करने की एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। ब्रिज की 100 फीट चौड़ी एप्रोच रोड बनाने में बाधक 140 प्रभावितों को रविवार को लाटरी के जरिए फ्लैट दिए गए। इससे पहले चार महीने पूर्व 32 अन्य लोगों को फ्लैट दिए जा चुके हैं। अब ज्यादातर लोगों को वैकल्पिक फ्लैट मिल चुके हैं। नगर निगम नवरात्रि के आसपास लोगों की शिफ्टिंग शुरू करेगा।


सभी प्रभावितों को बुढ़ानिया में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाए जा रहे फ्लैट दिए गए हैं। निगम अफसरों ने बताया कि लाटरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। कुछ लोगों को शिकायत है कि उनके बेटों को फ्लैट नहीं मिले हैं। यदि वे पात्र पाए गए, तो उन्हें भी फ्लैट दिए जाएंगे। निगम के अधीक्षण यंत्री और आवास योजना के प्रभारी अधिकारी महेश शर्मा ने बताया कि एक बीएचके के फ्लैट की कीमत 10 लाख रुपये है और प्रभावितों को फ्लैट दो लाख रुपये में दिए जा रहे हैं। आठ लाख का खर्च केंद्र, राज्य सरकार और नगर निगम वहन करेंगे। जो लोग लाटरी के बाद फ्लैट वाकई लेना चाहते हैं, उन्हें मार्जिन मनी के रूप में 20 हजार रुपये निगम के पास जमा कराने होंगे।


15-20 दिन में तैयार होंगे फ्लैट

प्रभारी अधिकारी ने बताया कि बुढ़ानिया के जिन फ्लैटों में पुल के प्रभावितों को शिफ्ट किया जाना है, वे फ्लैट 15-20 दिन में बनकर तैयार हो जाएंगे। नवरात्रि के आसपास से मार्जिन मनी जमा कराने वालों की शिफ्टिंग शुरू हो जाएगी।

100 फीट चौड़ा कुलकर्णी भट्टा पुल तो बनकर तैयार है, लेकिन उसके दोनों तरफ एप्रोच रोड बनना है। पुल की तरह यह सड़क भी 100 फीट चौड़ी होगी, जिसमें 100 से ज्यादा मकान बाधक हैं। मकान हटने के बाद ही सड़क बनाई जा सकेगी, इसलिए निगम प्रभावितों को दूसरी जगह विस्थापित कर रहा है।

तीन साल में भी पूरा नहीं हो सका काम

वर्ष 2019 में पुराने ब्रिज को तोड़कर नया ब्रिज बनाने का काम शुरू हुआ। पहले धीमी गति से चले काम और फिर कोरोना की वजह से यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। ब्रिज नहीं बनने की वजह से विजयनगर और मिल क्षेत्र से राजबाड़ा और मध्यक्षेत्र की और जाने वाले लोगों को अन्य वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना पड़ रहा है। इस वजह से अन्य सड़कों पर वाहनों का दबाव भी अधिक होता है।



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