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Nehru Stadium Indore: स्टेडियम का 'खेल’... ईवीएम अंदर, खिलाड़ी बाहर









Nehru Stadium Indore: स्टेडियम का 'खेल’... ईवीएम अंदर, खिलाड़ी बाहर

Nehru Stadium Indore: भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू, कैप्टन मुश्ताक अली के शहर इंदौर से मैदानी खेल गतिविधियां धीरे-धीरे सिमटती जा रही हैं। शहर में खेल मैदानों की कमी, उपलब्ध खेल मैदानों में रखरखाव का अभाव और शहर के पुराने नेहरू स्टेडियम में खेल गतिविधियों पर तालाबंदी की वजह से खेलों के लिए पहचाना जाने वाला यह शहर अपनी पहचान खो रहा है। लंबे समय से यहां से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नहीं निकले हैं।


 और तो और राज्य शासन के प्रतिष्ठित विक्रम और एकलव्य पुरस्कारों में भी इंदौर पिछड़ता जा रहा है। सबसे खराब स्थिति शहर केमध्य स्थित नेहरू स्टेडियम की है। खेलों के लिए बने नेहरू स्टेडियम को जब-तब निर्वाचन कार्यों के लिए प्रशासन द्वारा ले लिया जाता है। निर्वाचन प्रक्रिया तो हो जाती है, लेकिन खेल दोबारा शुरू करने की सुध नहीं ली जाती। प्रशासन का निर्वाचन भवन बनने के बावजूद यहां सालों से ईवीएम रखी हैं।

लंबी जद्दोजहद के बाद यहां कुछ गतिविधियां शुरू हुईं, लेकिन बहुत सी खेल गतिविधियां अभी भी ताले में बंद हैं। मप्र ओलिंपिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओम सोनी बताते हैं कि नेहरू स्टेडियम शहर के मध्य में स्थित होकर अधिकांश खेलों को आसरा देता है। शहर में वैसे ही खेल मैदान की कमी है। ऐसे में स्टेडियम में भी तालाबंदी से खिलाड़ी परेशान हैं। कभी शहर में बैडमिंटन का मुख्य केंद्र यह स्टेडियम हुआ करता था, लेकिन यहां का हॉल करीब चार साल से बंद है,


 वहीं कराते के हॉल पर भी ताला है। टेबल टेनिस का बड़ा हॉल 2014 से बंद है। स्टेडियम की ऊपरी मंजिल पर एक पूरी विंग बंद कर रखी है। यहां टेबल टेनिस व बास्केटबाल संघ का कार्यालय है। इन्हें निर्वाचन के लिए लिया गया था लेकिन अब तक लौटाया नहीं गया, जबकि निर्देश हैं कि निर्वाचन कार्य पूरा होने के बाद खेल संगठनों को हॉल लौटाना हैं।

कलेक्टर ही हैं मानद चेयरमैन : यशलहा ने बताया कि इंदौर जिला बैडमिंटन संगठन का पदेन चेयरमैन इंदौर कलेक्टर होता है। ऐसा संगठन के संविधान में लिखा है। इसके तहत वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह संगठन के पदेन चेयरमैन हैं।

खेल संघों पर दोहरी मार

ओम सोनी बताते हैं कि खेल संघों पर दोहरी मार पड़ रही है। हॉल बंद होने से खेल गतिविधियां बंद हैं, मगर बिजली का बिल आ रहा है। बिल खेल संगठनों को ही वहन करना होगा, जबकि हॉल प्रशासन ने ले रखे हैं।


महंगे क्लब में कैसे जाएं खिलाड़ी

जिला बैडमिंटन संगठन के सहसचिव और नेशनल रेफरी धर्मेश यशलहा ने बताया कि बैडमिंटन संगठन की अधिकृत गतिविधियां स्टेडियम में ही हुआ करती थीं, मगर हॉल बंद होने से इन्हें या तो रद करना पड़ा या अन्य किसी जगह कराना पड़ा। खिलाड़ी निराश हैं। सभी के पास इतने पैसे नहीं होते कि वे महंगे क्लबों की सुविधाएं ले सकें।



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