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Success Story : मजदूर पिता ने तीन बेटों को बनाया पायलट, घर में फ्लाइट सिम्युलेटर बनाकर कैप्टन अजय आत्मनिर्भर भारत को दे रहे पंख

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अमृतलाल ने अपने तीन बेटों को पायलट बनाने के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया है। जमीन का छोटा टुकड़ा भी साहूकार के पास गिरवी रखा हुआ है। आज की स्थिति में हालत यह है कि परिवार एजुकेशन लोन और पढ़ाई के लिए उधार लिए धन के भारी कर्ज में है। इसके बावजूद अमृतलाल के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है क्योंकि उनके बेटों ने बकाया चुकाने की जिम्मेदारी संभाल ली है। तीनों लड़के कॉमर्शियल पायलट हैं। अमृतलाल मूल रूप से मुरैना के रहने वाले हैं।

एमपी के मुरैना जिले के अमृतलाल का परिवार जानता है कि उड़ना कैसे है, इसके बावजूद परिवार का पैर जमीन पर है। मजदूरी कर अमृतलाल ने अपने सपने को साकार किया है। उन्होंने जी तोड़ मेहनत कर अपने तीन बेटों को पायलट बना दिया है।


Success Story : मजदूर पिता ने तीन बेटों को बनाया पायलट, घर में फ्लाइट सिम्युलेटर बनाकर कैप्टन अजय आत्मनिर्भर भारत को दे रहे पंख

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अमृतलाल ने अपने तीन बेटों को पायलट बनाने के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया है। जमीन का छोटा टुकड़ा भी साहूकार के पास गिरवी रखा हुआ है। आज की स्थिति में हालत यह है कि परिवार एजुकेशन लोन और पढ़ाई के लिए उधार लिए धन के भारी कर्ज में है। इसके बावजूद अमृतलाल के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है क्योंकि उनके बेटों ने बकाया चुकाने की जिम्मेदारी संभाल ली है। तीनों लड़के कॉमर्शियल पायलट हैं। अमृतलाल मूल रूप से मुरैना के रहने वाले हैं।



भोपाल में शिफ्ट हुए अमृतलाल
भोपाल में शिफ्ट हुए अमृतलाल

अमृतलाल हाल ही में अपने सबसे बड़े 28 वर्षीय बेटे कैप्टन अजय सिंह के साथ भोपाल में कटारा हिल्स इलाके में एक किराए के घर में शिफ्ट हुए हैं, जो पांच साल से एक DIY सिम्युलेटर पर काम कर रहा है। अजय ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान हम प्लेन उड़ाने में असमर्थ थे। अजय ने उड़ान के अपने जुनून को पूरा करने के लिए अपनी पूरी उर्जा सिम्युलेटर कॉकपिट को समर्पित कर दी है।



एक करोड़ की मशीन 25 लाख में तैयार
एक करोड़ की मशीन 25 लाख में तैयार

कैप्टन अजय ने अपने घर में जो फ्लाइट सिम्युलेटर बनाया है, उसे देश में फ्लाइंग क्लब एक करोड़ रुपये प्रति यूनिट से अधिक के हिसाब से खरीदते थे। कैप्टन अजय सिंह ने इसे 22-25 लाख रुपये की लागत में तैयार की है। अजय सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि एक महीने सिम्युलेटर को तैयार होने में और लगेंगे। इसके बाद मंजूरी के लिए ले जाएंगे। अजय ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने की दिशा में मेरा योगदान है।



पिता ने मजदूरी कर भरा फीस
पिता ने मजदूरी कर भरा फीस

कैप्टन अजय सिंह ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि हम केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते थे। इस दौरान हमारे पापा के पास फीस के लिए पैसे नहीं थे। हमारे घर के बगल में एक कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। पापा ने बिना बताए हमारे लिए वहां मजदूरी की। उसके बाद स्कूल का फीस भरा। अजय सिंह ने बताया कि पापा का शुरू से ही सपना था कि हमारे तीनों बेटे पायलट बनें। पापा ने इसे साकार किया है।



तीनों भाई पायलट
तीनों भाई पायलट

कैप्टन अजय सिंह सबसे बड़े हैं। कोरोना काल में नौकरी नहीं शुरू होने की वजह से कैप्टन अजय अपने सपने को साकार करने में लग गए। वह कॉकपिट सिम्युलेटर बनाने में लगे हैं। कैप्टन अजय के दूसरे भाई विजय सिंह जॉब में हैं। वहीं, तीसरे भाई दीपक कुमार अभी पायलट की ट्रेनिंग ले रहे हैं। जबकि कैप्टन अजय के पिता अमृतलाल 10वीं पास हैं। उन्होंने 1996 में दसवीं पास की है। बच्चे चाहते हैं कि वह 12वीं की परीक्षा पास कर लें। उन्होंने कहा कि बच्चे कहते हैं कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है।



परिवार का मिला साथ
परिवार का मिला साथ

अजय ने कहा कि यह परियोजना हमारे लिए आसान नहीं था। इसे बनाने के लिए मेरे सामने अगली चुनौती कच्चे माल, उपकरण और इसे खरीदने के लिए पैसों की व्यवस्था करना था। मैं अपने माता-पिता, भाइयों और दोस्तों का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे दिन में 16 घंटे काम करने के साथ-साथ आर्थिक और मानसिक रूप से भी सपोर्ट किया। अजय ने कहा कि वह अपने सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट सिम्युलेटर को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसे आसानी से एक पारंपरिक कॉकपिट के साथ-साथ मल्टी इंजन एयरप्लेन कॉकपिट को अनुकरण करने के लिए परिवर्तित किया जा सकता है।



डीजीसीए अप्रूव्ड ड्रोन इंस्ट्रक्टर हैं कैप्टन अजय
डीजीसीए अप्रूव्ड ड्रोन इंस्ट्रक्टर हैं कैप्टन अजय

अजय ने साल 2016 में इंडियन एयरफोर्स के साथ मिलकर कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम किए हैं। साथ ही वह डीजीसीए के डीजीसीए अप्रूव्ड ड्रोन इंस्ट्रक्टर हैं। अजय अपने उड़ान सिम्युलेटर और ड्रोन के लिए सरकारी सहायता की तलाश में हैं। उनका अगला प्रोजेक्ट भारत का पहला ड्रोन सिम्युलेटर होगा।





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