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Tales of MP Politics: गुलाम नबी आजाद की शादी का वो किस्सा जब एमपी के सीएम ने अपना पायजामा लाने भोपाल भेजा सरकारी प्लेन


भोपाल
साल 1972 में पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने प्रकाशचंद्र सेठी का दौर प्रशासनिक सख्ती के लिए मशहूर है। कई बार उन्हें सनकी मिजाज भी कहा गया। उनकी मौत के बाद उनके साथ काम करने वाले कई लोगों ने बताया कि वे लंबे समय से डायबिटिज के मरीज थे। काम का बोझ और तनाव के क्षणों में उनका मानसिक संतुलन कमजोर पड़ जाता था। सेठी की प्रशासनिक दक्षता के साथ उनके ऊल-जलूल फैसलों के भी कई किस्से मशहूर हैं। ऐसा ही एक किस्सा वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की शादी से जुड़ा है। 
1980 में हुई गुलाम नबी आजाद की शादी
साल 1980 में गुलाम नबी आजाद की शादी कश्मीरी लोक गायिका शमीम देव से हुई थी। शादी में शामिल होने के लिए सेठी भी गए थे। वे एक दिन के लिए ही गए थे, लेकिन किसी कारणवश रुकना पड़ गया। तभी याद आया कि वे अपने साथ अपना पायजामा नहीं लाए हैं। पायजामा लाने के लिए उन्होंने अपना सरकारी प्लेन कश्मीर से भोपाल भेज दिया।
  स्वीमिंग पूल जाने के लिए सुबह-सुबह पहुंचे कलेक्टर के घर
एक और किस्सा तब का है जब सेठी केंद्रीय गृह मंत्री थे और अजीत जोगी इंदौर के कलेक्टर। सेठी इंदौर आए थे और इंदौर में अपने घर पर रुके थे। एक दिन सुबह के चार बजे कलेक्टर के संतरी ने उन्हें नींद से जगाकर बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री आए हैं और बाहर अपनी कार में अकेले बैठे हैं। अजीत जोगी भागकर बाहर आए तो सेठी ने उनसे साथ चलने को कहा। जोगी ने पूछा कहां चलना है तो सेठी ने जवाब दिया- स्वीमिंग पूल। सेठी ने कहा कि उन्हें स्वीमिंग पूल जाना है, लेकिन तैरने में डर लगता है। इसलिए आप मेरे साथ रहें। यह सुनकर जोगी चकरा गए, लेकिन उन्हें जाना पड़ा क्योंकि मामला देश के गृह मंत्री का था।
  डकैतों के ठिकानों पर बमबारी का प्लान
सेठी के बारे में कहा जाता है कि उनके मुख्यमंत्री रहते एमपी में डकैतों की समस्या अपने चरम पर थी। जयप्रकाश नारायण डकैतों के आत्मसमर्पण की कोशिश में लगे थे, लेकिन बात ज्यादा आगे बढ़ नहीं पा रही थी। अपनी सख्ती के लिए मशहूर सेठी ने कहा कि डकैतों के ठिकानों पर एयरफोर्स के विमानों से बमबारी करवा दी जाए। 
खुद ही लीक करवाई खबर

अधिकारियों ने कानूनी और व्यावहारिक उलझनों का हवाला दिया तो सेठी तत्कालीन केंद्रीय रक्षा मंत्री जगजीवन राम के पास पहुंच गए। जगजीवन राम की सहमति के बाद सेठी भोपाल लौटे और बमबारी की तैयारियां होने लगीं। इसी बीच यह खबर लीक हो गई और अखबारों में छप गई। इसके बाद डकैतों में भगदड़ मच गई। कई डकैत भागते-छिपते जयप्रकाश नारायण और विनोबा भावे के पास पहुंच गए और आत्मसमर्पण करने को तैयार हो गए। साल 1972 की उन गर्मियों में 450 से ज्यादा डकैतों ने आत्मसमर्पण किया था। बाद में पता चली कि बमबारी की खबरें खुद सेठी ने ही लीक करवाई थीं।
  गुस्से पर नहीं था कंट्रोल
उनके सनकी मिजाज और शराब प्रेम के चलते सेठी को कई बार इंदिरा गांधी के कोप का शिकार भी होना पड़ा था। सेठी का अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं था। गुस्से में वे कई बार हाथ भी उठा देते थे। एक बार तो उन्होंने अपने चपरासी को ही पीट दिया था। इंदिरा गांधी के पास जब ये खबरें पहुंची तो उन्होंने सेठी को जबरदस्ती योगाचार्य धीरेंद्र ब्रम्हचारी के जम्मू स्थित आश्रम में भेजा था। सेठी वहां दो-तीन सप्ताह रहे थे।


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