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मध्‍य प्रदेश में 2024 से पहले नर्मदा नदी के जल के अधिकतम उपयोग पर जोर



भोपाल मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों के बीच नर्मदा जल के बंटवारे पर पुनर्विचार के पहले राज्य सरकार नर्मदा के जल का अधिकतम उपयोग करेगी। शनिवार को मंत्रालय में आयोजित नर्मदा नियंत्रण मंडल की 71वीं बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा नदी पर निर्भर सिंचाई परियोजनाओं के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा जल के उपयोग के लिए वर्ष 2024 तक का इंतजार न करें, बल्कि उसके पहले ही अपने हिस्से के पूरे पानी का उपयोग करने की पहल करें।


उन्होंने परियोजनाओं से जुड़े कार्य में देरी होने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जो एजेंसियां समय से काम नहीं कर रही हैं, उन पर जुर्माना लगाएं। मुख्यमंत्री ने विभाग के अधिकारियों को मार्च 2022 तक सिंचाई रकबा एक लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य देते हुए कहा कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में धन की कमी आड़े नहीं आएगी। विभाग की सिंचाई क्षमता वर्तमान में 33.77 लाख हेक्टेयर है, जिसे वर्ष 2024-25 तक 50 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना है।


विभाग के अपर मुख्य सचिव आइसीपी केशरी ने बताया कि छीपानेर और ढीमरखेड़ा परियोजना का काम जून 2022 तक पूरा हो जाएगा। ज्ञात हो कि वर्ष 2024 में नर्मदा जल विवाद अभिकरण (नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल) मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के बीच पानी के बंटवारे पर पुनर्विचार होना है।


अभिकरण ने वर्ष 1979 में मध्य प्रदेश को 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट), गुजरात को नौ एमएएफ, महाराष्ट्र को 0.25 एमएएफ और राजस्थान को 0.50 एमएएफ पानी आवंटित किया था। इसमें से मध्य प्रदेश वर्तमान में 14.55 एमएएफ पानी का उपयोग कर पा रहा है।


बैठक में मुख्यमंत्री ने छैगांवमाखन उद्वहन सिंचाई परियोजना, अलीराजपुर उद्वहन सिंचाई परियोजना, बिस्टान उद्वहन सिंचाई परियोजना, छीपानेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना, ग्रुप माइक्रो सिंचाई परियोजना, (अम्बा रोडिया, बलकवाड़ा, चौंडी जामन्या एवं सिमरोल अम्बाचंदन) ढीमरखेड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना और हालोन परियोजना से संबंधित कार्यों की जानकारी ली।

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