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विदेशी पक्षियों को कैद में रखने पर प्रतिबंध लगाने जा रही भारत सरकार



 भोपाल। विदेशी पक्षियों को पालने, उन्हें कैद में रखने पर भारत सरकार प्रतिबंध लगाने जा रही है। इसके लिए सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 में संशोधन कर रही है। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सहित सभी राज्यों को संशोधन का प्रारूप भेजकर अभिमत मांगे हैं। इस सिलसिले में प्रदेश में वन अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। अब मंत्रालय स्तर पर बैठक के बाद अभिमत भारत सरकार को भेजे जाएंगे।

अभी तक विदेशी पक्षियों को पालने, कैद में रखने पर रोक लगाने वाला कोई कानून नहीं है। इसलिए ये पक्षी बाजार में खुलेआम बिकते हैं। हजारों किमी की दूरी तय करके मध्य प्रदेश पहुंचने वाले ये पक्षी नदी एवं तालाबों के आसपास डेरा डालते हैं। जहां इनका शिकार भी होता है। ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने की तैयारी है। भारत सरकार के दोनों कानूनों में प्रस्तावित संशोधन में इसका प्रविधान किया जा रहा है। प्रदेश के वन अधिकारी भी इस संशोधन के लिए तैयार हैं। अब अन्य राज्यों से पहुंचने वाले सुझावों के आधार पर सरकार निर्णय लेगी। उल्लेखनीय है कि वैसे तो मध्य प्रदेश में सभी मौसम में विदेशी पक्षी आते हैं, पर सर्दी के मौसम में इनकी संख्या काफी रहती है।


प्रदेश में आस्ट्रेलिया, साइबेरिया, इंग्लैंड, नेपाल और पाकिस्तान सहित अन्य देशों से पक्षी आते हैं। इसके अलावा स्थानीय (भारत के) पक्षी भी माइग्रेट करते हैं। मौसम में परिवर्तन और बर्फवारी के कारण पलायन करने वाले ये पक्षी खाने की तलाश में हजारों किमी का सफर तय करते हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में फिलिमिंगो और कॉमन क्रेन पक्षी मुश्किल से दिखाई देता है। जबकि सुर्खाव, वार हेडेड ग्रूज, टील सहित सैकड़ों पक्षी आसानी से मिल जाते हैं।

अनुसूची में भी होगी कटौती

प्रस्तावित संशोधन प्रस्ताव में अनुसूचियों में भी कटौती की जा रही है। अभी छह अनुसूची हैं, जो घटकर चार रह जाएंगी। वर्तमान में शुरूआत की चार अनुसूचियों में वन्यप्राणियों को रखा गया है। इसमें से शेर, बाघ,तेंदुआ, मोर सहित वे सभी वन्यप्राणी आते हैं, जिन्हें संरक्षित श्रेणी में रखा गया है। जबकि चौथी अनुसूची में पौधे और छठवीं अनुसूची में आगजनी की घटनाएं आती हैं। इनमें से पहली चार अनुसूचियों में से दो कम की जा रही हैं


ट्रंकुलाइज का निर्णय स्थानीय स्तर पर

भारत सरकार बाघ, तेंदुआ सहित पहली व दूसरी अनुसूची में शामिल वन्यप्राणियों को ट्रंकुलाइज करने के नियम भी सरल करने जा रही है। अभी इनमें से किसी भी वन्यप्राणी को ट्रंकुलाइज करने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की अनुमति लेना होती है। इसमेें कई बार दो से चार दिन का समय लग जाता है। नई व्यवस्था में अधिकारी परिस्थितियों को देखते हुए स्थानीय स्तर पर निर्णय ले सकेंगे। वहीं ईको टूरिज्म के तहत संरक्षित क्षेत्रों में होने वाले निर्माण्ा कार्यों में भी सरकार छूट देने जा रही है।

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