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Devi Ahilya University Indore: डीएवीवी का डिस्टेंस एजुकेशन विभाग ठेके पर, पढ़ाने से लेकर परीक्षा तक निजी कंपनियों के जिम्मे




Devi Ahilya University Indore:  प्रदेश की ए-प्लस ग्रेडधारी देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी अपने दूरस्थ शिक्षा विभाग को ठेके पर देगी। डिस्टेंस मोड में एमबीए कोर्स पढ़ाने वाले दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का संचालन और प्रबंध जल्द निजी कंपनियां करती नजर आएगी। इस बारे में प्रस्ताव न केवल तैयार हो चुका है बल्कि विवि फायनेंस कमेटी की मंजूरी के बाद कार्यपरिषद ने भी मुहर लगा दी है। विभाग का नाम भी बदलकर सेंटर फार डिस्टेंस एंड आनलाइन एजुकेशन (सीडीओई) किया जा रहा है।


निजी कंपनियों को संचालन का न्यौता देने के लिए यूनिवर्सिटी अब टेंडर जारी करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। प्रदेश में यह पहला मौका होगा जब कोई राजकीय विश्वविद्यालय अपने शिक्षण विभाग के प्रबंध व संचालन का जिम्मा निजी कंपनियों को सौंपेगा। वर्ष 2001 में दूरस्थ (डिस्टेंस) माध्यम से एमबीए व अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करवाने के लिए विश्वविद्यालय ने इस विभाग की स्थापना की थी।


एमबीए के साथ ही आगे तमाम पाठ्यक्रम शुरू करने का दावा था। हालांकि तीन वर्ष की अवधि वाला एक मात्र एमबीए पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। इस पाठ्यक्रम में भी डेढ़ वर्ष से कोई प्रवेश नहीं हुआ। पुराने 80 विद्यार्थी कोर्स पूरा करने के लिए पढ़ाई कर रहे हैं। विभाग में कोई नियमित शिक्षक नहीं है। अन्य विभाग के शिक्षक को अतिरिक्त प्रभार के रूप में निदेशक बनाया गया है।


पांच कर्मचारी विभाग की व्यवस्था संभाल रहे हैं। देवी अहिल्या विवि का सालाना बजट 360 करोड़ रुपये से ज्यादा है। हालांकि सरकार की ओर से विवि को बमुश्किल 5 करोड़ रुपये ही ग्रांट के रूप में मिल पाते हैं। सरकार से मिलने वाले अनुदान की कमी और कोरोना काल के बाद राजस्व बढ़ाने के दबाव के बीच विवि ने अब इस विभाग को निजी कंपनियों को सौंपने का मन बना लिया है। विवि कह रहा है कि इस फार्मूले से विभाग में प्रवेश बढ़ेंगे, राजस्व भी बढ़ेगा और खर्च से लेकर संसाधनों की व्यवस्था का जिम्मा ठेका लेने वाली निजी कंपनियां संभालेगी।


फीस में कंपनी की हिस्सेदारी

विभाग को निजी कंपनी को देने के लिए विवि ने प्रस्ताव तैयार किया है। इसके अनुसार विभाग में आनलाइन और डिस्टेंस मोड पर कोर्स संचालित होंगे। एमबीए(मार्केटिंग, फायनेंस, एचआर) व एमबीए(एनर्जी मैनेजमेेंट) के साथ एमए के दो कोर्स प्रारंभिक रूप से संचालित होंगे। ठेका हासिल करने वाली कंपनी कोर्स का प्रचार करेगी। विभाग के निदेशक डॉ.प्रतोष बंसल के अनुसार कंपनी की ही जवाबदारी होगी कि व तमाम माध्यमों में विज्ञापन दे। कोर्स के प्रवेश की प्रक्रिया करे। विश्व के तमाम देशों से उम्मीदवारों को आमंत्रित करे।




इसके लिए एक काल सेंटर भी कंपनी बनाएगी। आनलाइन पढ़ाई के लिए लैक्चर वीडियो तैयार करने का जिम्मा भी कंपनी का होगा। आनलाइन परीक्षा, विशेषज्ञ शिक्षकों की व्यवस्था भी कंपनी करेगी। हालांकि शिक्षण सामग्री और सिलेबस को तय अंतिम रूप से विवि ही तय करेगा। फीस का पैसा भी विवि के खाते में जमा होगा। इसमें से कांट्रेक्ट के अनुसार तय हिस्सा कंपनी को दिया जाएगा। इससे एडमिशन बढ़ेंगे और विवि को स्टेशनरी खरीदने से लेकर फर्निचर व अन्य व्यवस्थाओं पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा।
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