Gandhi Jayanti 2021: इंदौर के कस्तूरबा ग्राम में बापू के संकल्प का सूत यज्ञ है जारी
Gandhi Jayanti 2021: इंदौर शहर में महात्मा गांधी का दो बार आगमन हुआ। पहली बार वे 1918 में और दूसरी बार 1935 में यहां आए थे। शहर में पहली बार तो वे कस्तूरबा के साथ आए थे। गांधीजी के शहर आगमन को बेशक एक शतक से भी अधिक वक्त बीत गया, लेकिन शहर के दिल में उनके सिद्धांत आज भी सांस लेते हैं। फिर चाहे बात हिंदी के संवर्धन और संरक्षण की हो या जैविक खाद बनाकर उन्नत कृषि के सपनों की हो। खादी को अपनाने का सपना हो या ग्रामीण व गरीब महिलाओं और बच्चों के उत्थान की कल्पना हो यह सब शहर में आज भी किया जा रहा है। आज भी यहां एक स्थान ऐसा है जहां न केवल प्रतिदिन सूत यज्ञ में सूत काता जाता है बल्कि उससे तैयार कपड़ों को ही गणवेश के रूप में अपनाया भी जाता है।
कस्तूरबा की स्मृति में बापू द्वारा जिस कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट की स्थापना 1944 में की गई थी उसकी एक इकाई कस्तूरबा ग्राम आज भी शहर में संचालित हो रहा है। यहां आज भी गांधीजी के एकादश व्रत के नियमों का अध्ययन होता है। सर्वधर्म प्रार्थना के स्वर आज भी यहां गूंजते हैं और सूत यज्ञ अबाधित रूप से यहां होता आ रहा है। अब इसमें एक और नए सोपान को शामिल कर लिया गया है और वह है ग्रामीण महिलाओं को दिया जाने वाला हथकरघा प्रशिक्षण जिसमें चादर और तौलिए बुने जा रहे हैं।
गणवेश का कपड़ा यहीं होता है तैयार
वस्त्र स्वावलंबन विभाग की पद्मा मानमोडे बताती हैं कि यहां के विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी सभी प्रतिदिन सूत यज्ञ में शामिल होते हैं। सभी को कम से कम आधा घंटा सूत कातना अनिवार्य है लेकिन कई तो ऐसे हैं जो लंबा वक्त इस यज्ञ में देते हैं। इसका परिणाम यह है कि यहां के विद्यार्थियों के लिए प्रतिवर्ष जितना गणवेश बनता है वह यहीं कते सूत से तैयार किए गए कपड़े का बनता है। कोरोनाकाल में बेशक विद्यार्थियों की संख्या कम हुई लेकिन महामारी के पूर्व तक प्रतिवर्ष औसतन 5 सौ से 6 सौ मीटर कपड़ा यहीं सूत कातकर तैयार किया जाता रहा।