Gwalior Court News: उच्च स्तरीय कमेटी देखे अस्पताल की हालत, बच्चों की सरकारी देखरेख पर इलाज की व्यवस्था कराए: कोर्ट

Gwalior Court News: हाई कोर्ट की प्रिसिंपल बैंच जबलपुर ने ग्वालियर में बच्चों में फैली तीन बीमारियों को लेकर सख्त रुख दिखाया है। कोर्ट ने उस उच्च स्तरीय कमेटी को आदेश दिया है, जिसे अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पड़ताल के लिए बनाया है। वह ग्वालियर के केआरएच का निरीक्षण करे। अस्पताल में देखे कि बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं। साथ ही हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा, स्ट्रेप्टोकाकस निमोनिया, निसेरिया मेनिंजाइटिडिस बीमार से पीड़ित बच्चों की पहचान की जाए। उनका सरकारी देखरेख व खर्च पर इलाज किया जाए। अब याचिका की सुनवाई 21 अक्टूबर को फिर से होगी।
अधिवक्ता संगीता पचौरी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने बच्चों के लिए पर्याप्त इंतजाम कर चिकित्सा शिक्षा आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। शुक्रवार को जीआरएमसी के डीन की ओर से रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें बताया गया कि बच्चों के इलाज के लिए 30 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। याचिका में जो स्थिति बताई गई है, वैसी भयाभय स्थिति नहीं है। जिन बीमारियों का याचिका में जिक्र किया है, उनकी पुष्टि नहीं है। इसलिए याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
याचिकाकर्ता ने विरोध करते हुए कहा कि जो मुद्दे उठाय गए हैं, वह सही हैं। अस्पताल में बच्चों की मौत हो रही है। एक बेड पर चार-चार बच्चों को इलाज दिया जा रहा है। लोग जमीन में पड़े हैं। अस्पताल के फोटोग्राफ भी लगाए हैं। शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि छह अक्टूबर को एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी में अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य व तीन डिप्टी डायरेक्टर को शामिल किया गया है। जो अस्पतालों का निरीक्षण करेगी और फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बनाएगी। कमेटी कमियां व इलाज को लेकर भी अध्ययन करेगी। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया है कि उच्च स्तरीय कमेटी ग्वालियर केआरएच का निरीक्षण करे और वहां की परिस्थिति देखे।
क्या है मामला
-संगीता पचौरी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका को जबलपुर स्थानांतरित कर दिया गया है। जिसकी चीफ जस्टिस की बैंच में सुनवाई हो रही है। याचिकाककर्ता की ओर से तर्क दिया गया है कि बच्चों पर कोविड या सार्क वायरस का अटैक हो सकता है, लेकिन उनकी जांच नहीं कराई जा रही है। दिमागी बुखार बताया जा रहा है। एक-एक पलंग पर चार-चार बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। केआरएच में आए दिन बच्चों की मौत हो रही है, लेकिन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग बच्चों की मौत को लेकर गंभीर नहीं है। इलाज के लिए संसाधन नहीं हैं। साथ ही कोविड की जांच जरूरी है।
- याचिकाकर्ता ने 11 साल की बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में बच्ची को कोविड था, लेकिन डाक्टर उसे दिमागी बुखार का इलाज देते रहे।
- यदि बच्चों को दिमागी बुखार हो रहा है, तो उसकी पहले जांच होनी चाहिए। बिना जांच के इलाज न दिया जाए।
- अस्पताल में उपचार की व्यवस्थाएं नहीं हैं। पहले बेड बढ़ाने की जरूरत है। यदि सरकारी में व्यवस्था नहीं है तो प्राइवेट अस्पतालों को हायर किया जाए।