Jabalpur News: लोगों के मन में स्वच्छता के प्रति समझ का हुआ है विकास

जबलपुर, मध्यांचल सोशियोलाजिकल सोसायटी द्वारा स्वच्छता की संस्कृति: एक नव आंदोलन विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। जहां डा. विजय गंभीर ग्वालियर ने अध्यक्षता की। जिसमें देश व प्रदेश के 200 से अधिक समाज विज्ञानियों ने भाग लिया। मध्यांचल सोशियोलॉजिकल सोसायटी के सचिव डा. ध्रुव दीक्षित जबलपुर ने विषय पर अपनी रखते हुए कहा कि समकालीन भारत में स्वच्छता की संस्कृति को फैलाने का श्रेय महात्मा गांधी, डा. बिंदेश्वर पाठक, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है।
सरकारी कर्मचारी कर रहे औपचारिकता का निर्वहन : इसकी शुरुआत करते हुए डा.दिनेश चंद्र खंडेलवाल उज्जैन ने कहा कि आज स्वच्छता का आंदोलन एक सरकारी कार्यक्रम बनकर रह गया है। सरकारी कर्मचारियों में स्वच्छता के प्रति समर्पित भाव नहीं है वह केवल औपचारिकता का निर्वहन कर रहे हैं। इसलिए यह आंदोलन प्रभावी रूप नहीं ले पाया है। डा.विनोद रस्तोगी सतना का विचार था कि महात्मा गांधी स्वच्छता संदेश के संवाहक थे। उन्होंने स्वच्छता को अपने जीवन में बहुत अधिक महत्व दिया।
डा. ममता गाव सिंदे भोपाल ने कहा कि भारत में स्वच्छता आंदोलन काफी आगे निकल चुका है। विभिन्न प्रकार के कचरों को रिसाइकल करके नए-नए प्रकार के उत्पाद विशेष रूप से खाद, बिजली इत्यादि का निर्माण किया जा रहा है। डा. निशा मोदी इंदौर ने बताया कि इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है और वहां स्वच्छता के प्रति लोग जागरूक हो गए हैं। गंदगी फैलाने पर लोग टोंक देते हैं। ऐसे ही स्वच्छता के प्रति व्यक्तिगत चेतना पूरे देश में फैलाने की जरूरत है।
डा. विजय दीक्षित अमरकंटक ने कहा कि स्वच्छता के संबंध में हमें यूरोपीय देशों से सीखने की जरूरत है। डा. अवधेश प्रताप सिंह छतरपुर ने कहा कि गांधीजी स्वच्छता के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने आचरण में स्वच्छता का संदेश समाज को दिया। डा. प्रतिभा श्रीवास्तव छिंदवाड़ा ने बताया कि वर्तमान के समाज में स्वच्छता के प्रति लोगों की समझ बढ़ रही है और गांव-गांव में व शहर-शहर में इस क्षेत्र में लोगों में स्वच्छता का विचार तेजी से फैल रहा है।
डा. एससी राय सतना ने कहा कि भारत में स्वच्छता की संस्कृति एक आंदोलन के रूप में फैल रही है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. विजय गंभीर ग्वालियर ने कहा कि जब तक समाज में लोगों के मन, वचन और कर्म से स्वच्छता का भाव नहीं आएगा तब तक स्वच्छता का विचार आंदोलन नहीं बन पाएगा। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन डा. ध्रुव दीक्षित व आभार प्रदर्शन डा. शिवानी राय दमोह द्वारा किया गया।