Navratri 2021 : जबलपुर के सदर में दिखता है मां काली का सौम्य रूप

जबलपुर। मां काली का रौद्र हर मंदिर और प्रतिमाओं में देखने मिलता है। लेकिन जबलपुर शहर के सदर में मां काली सौम्य रूप में विराजीं हैं। खास बात यह है कि मंदिर में विशेष रूप से मां के लिए एसी लगाया गया है।
इतिहास : मंदिर 550 साल पुराना है। बुजुर्ग बताते हैं कि महारानी दुर्गावती मदनमहल के किले के पास मां शारदा और काली माता का मंदिर बनवा रहीं थीं। जिसके लिए मूर्ति मंडला से गढ़ा गोंडवाना आ रही थी। लाने वाले बंजारे रात्रि विश्राम के लिए वर्तमान स्थल श्रीसिध्द पीठ काली माई मंदिर सदर में रुके और देवी माई को बैलगाड़ी से उतारकर सो गए। सुबह जब प्रतिमा उठाने लगे तो नहीं उठी। तब गोंडवंश के मंत्रियों से चर्चा कर यहीं पर प्रतिमा स्थापित कर दी गई और फिर मढि़या का मचान बना दिया गया और शारदा माता की प्रतिमा मदनमहल की पहाड़ी में स्थापित की गई।
ठंडक के लिए लगाया गया एसी : मंदिर में मनोकामना के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मां काली ठंडक में रहें इसके लिए मंदिर में एसी भी लगाया गया है। पहले पंखा और कूलर भी मंदिर में लगा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाकाली की जीभ रौद्र रूप में बाहर निकल आती है, सिध्द पीठ में मातारानी शांत चित्त होकर विराजित हैं और सभी अनिष्ट दूर कर जग का कल्याण कर रही हैं। मंदिर में दीपक अगरबत्ती जलाने का अलग स्थान निर्धारित है। मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतार देखी जाती है।
भगवती महामाई की नित्य नियम से सेवा कर रहा हूं। नवरात्र महोत्सव में सप्तशती, कीलक कवच अर्गला का पाठ कर, भक्तों की अर्जी माई के चरणों में रखकर प्रार्थना करते हैं।