Navratri 2021 : जबलपुर में तीन रंगों में दर्शन देती हैं मालादेवी की प्रतिमा

जबलपुर शहर के गढ़ा ब्राह्मण मोहल्ला में मालादेवी की प्रतिमा 14 सौ साल से है। यहां नवरात्र पर्व पर सुबह से जल ढारने के लिए भक्त पहुंचते हैं। खास बात यह है कि मां दिनभर में तीन बार अपना रंग बदलती है जिसका अहसास भक्तों को होता है।
इतिहास : मालादेवी का पूजन 6वीं शताब्दी से हो रहा है। ये कल्चुरी हैहय चंदेल क्षत्रिय वंश की कुलदेवी हैं। माला देवी भगवती महालक्ष्मी के स्वरूप में हैं। गोंडवंश की महारानी वीरांगना दुर्गावती नियमित रूप से आराधना कर अपने वैभव के आशीर्वाद मांगती थीं। वर्तमान स्थल के सामने राजा शंकर शाह का महल था, राजा शंकर शाह सुबह सबसे पहले भगवती के दर्शन करते थे। पहले मढ़िया में केवल एक पत्थर और वहां बानों को ही लोग पूजते थे, परन्तु 10वी शताब्दी में पत्थर की मूर्ति मढ़ा दी गई थी। अभी भी वही मूर्ति पूजी जा रही हैं। मालादेवी गढ़ा राजवंश की आराध्या थी अब जनसाधारण की पूज्य देवी हैं।
भगवती पराम्बा का अलौकिक सौंदर्य है। स्थानीय परिवार ब्रम्ह मुहूर्त में जल ढारने आते हैं। नवरात्र में कलश स्थापित कर जवारे बोए जाते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है।
मैं बचपन से जल ढारने सुबह पैदल मंदिर जाता हूं। आज भी हर कठिन काम के पहले दर्शन करके ही कार्य प्रारंभ करता हूं। देवी दाई के आशीर्वाद से सब काम हो जाते हैं।