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Power Crisis in Madhya Pradesh: बिजली में गोलमाल, बड़ा सवाल, पीक आवर्स में कैसे घटी 1365 मेगावाट की आपूर्ति



Power Crisis in Madhya Pradesh: भोपाल कोयला संकट, प्रदेश के बिजली संयंत्रों में क्षमता से आधा उत्पादन, फिर भी बिजली संकट न होने का सरकारी दावा कितना सही है, इसकी हकीकत प्रदेश में बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था बता रही है। नईदुनिया ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि पीक आवर्स यानी जब बिजली की मांग सर्वाधिक होती है, तब ही बिजली की आपूर्ति में भारी कमी आई। शाम सात बजे प्रदेश में बिजली की मांग 10,898 मेगावाट थी, बिजली कंपनियों ने ओवर ड्रा कर बिजली की आपूर्ति की, लेकिन रात के साढ़े नौ बजते-बजते अचानक बिजली आपूर्ति में 1365 मेगावाट की कमी आ गई।

ये है बिजली की आपूर्ति की हकीकत

समय (मंगलवार रात) आपूर्ति (मेगावाट में) सात बजे- 10,895 साढ़े सात बजे- 10533 आठ बजे - 10,234 साढ़े आठ बजे- 9899 नौ बजे - 9543 साढ़े नौ बजे - 9533 नोट- ढाई घंटे के दौरान बिजली की सर्वाधिक मांग के बीच 1365 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कम की गई।

बिजली की मांग घटने पर सवाल

दुर्गा उत्सव के दौरान जब रात में बिजली की मांग सबसे ज्यादा होती है, तब बिजली का मांग क्यों घटी? क्या ग्रामीण क्षेत्र की बिजली कटौती की गई? क्या कृषि फीडर को दी जाने वाली बिजली की कटौती की गई? ये ऐसे सवाल हैं, जो सरकार के उस दावे को खारिज कर रहे हैं।

एक हजार मेगावाट का अंतर

प्रदेश में फिलहाल बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच एक हजार मेगावाट से ज्यादा का अंतर बना हुआ है। सोमवार रात से मंगलवार रात की बिजली आपूर्ति का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि सोमवार रात 12 बजे 10,038 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही थी, जो सुबह घटकर 9841 पर आ गई। इसके बाद सात बजे फिर बढ़कर 10,500 पर पहुंच गई। आठ बजे 10,161, नौ बजे 9899 से लेकर शाम पांच बजे तक 9733 मेगावाट के आसपास रही, पर शाम छह बजते ही मांग बढ़कर 10048 मेगावाट पर पहुंच गई।

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